संवाददाता।
कानपुर। नगर के महिला महाविद्यालय किदवई नगर में शुक्रवार से इतिहास विभाग की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें “महाकाव्य कालीन भारत: इतिहास, राजनीति, कला एवं संस्कृति” विषय पर लोगों ने अपने विचारों को रखा। अतिथियों का स्वागत करते हुए दयानंद शिक्षण संस्थान की संरक्षिका कुमकुम स्वरूप ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे महाकाव्य में महिला एवं पुरुष के समान स्थान की बात की गई है, परंतु आज स्त्रियां हाशिए पर है। आज हमें पुनः महाकाव्य कालीन विचारों को आत्मसात करके समाज को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। प्राचार्य प्रो. अंजू चौधरी ने महाविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियां पर प्रकाश डालते हुए प्रगति आख्या प्रस्तुत की। संगोष्ठी की सयोजिका प्रोफेसर ममता गंगवार ने विषय परिवर्तन करते हुए महाकाव्य के इतिहास विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया साथ ही महाकाव्य कालीन संस्कृति ,आर्थिक सामाजिक दशा तथा धार्मिक स्थिति पर भी प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि महाकाव्य कालीन संस्कृति के आदर्शों को हमें अपनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सह संयोजक के सचिव संजय मिश्रा ने कहा कि हमारे महाकाव्य हमें एक संतुष्ट जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीके श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान समय में समाज में राजनीति सत्ता लोभी हो गई है। रामायण जैसे महाकाव्य में इतिहास राजनीति और यथार्थवाद का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें निर्मल राजनीति के स्पष्ट दर्शन होते हैं ।आज समाज को अपने महाकाव्य से सीख लेने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. कल्पना श्रीवास्तव, प्रो. प्रतिभा श्रीवास्तव, प्रो. संगीता शितानी, प्रो. नीता मिश्रा, प्रो. वंदना शर्मा, प्रो. मनीष शुक्ला, प्रो. रश्मि चतुर्वेदी, प्रो. प्रज्ञा श्रीवास्तव, डॉ. प्रीति द्विवेदी, डॉ. रश्मि सिंह, डॉ. सभा यूनुस समेत अन्य लोग भी मौजूद रहे।