संवाददाता।
कानपुर। नगर में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर में मसूर की दाल का ऐसा बीज तैयार किया गया है, जिसमें अधिक मात्रा में आयरन और जिंक पाया जाता है। इसकी खेती करने वाले किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। यह बीच पूर्वी भारत की तरफ के किसानों के लिए सबसे बेहतर साबित होगा। इस बीज को लेकर संस्थान के प्रोफेसर व अधिकारी कार्यक्रम के माध्यम किसानों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। संस्थान के निदेशक जीपी दीक्षित ने बताया कि इस बीच का नाम बायो फोर्टिफाइट आईपीएल 2020 का नाम दिया गया है। इस दाल का सेवन करने वाले व्यक्ति के शरीर में भरपूर मात्रा में आयरन व जिंक पहुंचेगा।संस्थान के निदेशक जीपी दीक्षित ने बताया कि मसूर की दाल का सेवन पूर्वी भारत की तरफ ज्यादा किया जाता है। सरकार की तरफ से हम लोगों को तीन साल का एक प्रोग्राम मिला है, जिसके माध्यम से इधर के किसानों को कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें इस बीच के प्रयोग और उन्हें खेतों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस बीच का प्रयोग खेती में करने से किसानों की आय में वृद्धि होगी। आम बीज का प्रयोग करने से प्रति हेक्टेयर 12 से 15 कुंतल की पैदावार होती थी, लेकिन आईपीएल 220 का बीज का प्रयोग करने से यही पैदावार प्रति हेक्टेयर 15 से 18 कुंतल हो जाएगी। बीज का रेट लगभग बराबर है, लेकिन बाजार में इस दाल की कीमत ज्यादा होगी। उन्होंने बताया कि पूर्वी बेल्ट की तरफ खेतों में जाकर किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। तीन साल के अंदर हर एक किसानों को इस बीच के फायदे बताने है। उन्हें बताया जा रहा है कि यह बीच 120 दिनों के अंदर तैयार हो जाता है। जीपी दीक्षित ने बताया कि इसके अलावा संस्थान में हाई प्रोटीन वाला चना आईपीसी 5-62 बीच भी तैयार किया गया है। आम चने में 20 से 22 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है, लेकिन आईपीसी 5-62 में 26 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। यह यूपी और बुंदेलखंड के किसानों के लिए बेहतर साबित होगा। इस बेल्ट में चने की अच्छी खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रोटीन पाउडर अमेरिका यूरोप में ही बनते थे, लेकिन भारत में भी अब बनने लगा है। इस चने का प्रयोग इस प्रोटीन पाउडर के लिए भी किया जाएगा। किसानों की हित की बात की जाए तो इसकी उपज आम चने के मुकाबले 18 से 20 प्रतिशत ज्यादा होगी।