हाई ग्रेड बुखार के मरीजों से भरे अस्पताल मरीज सैकड़ों की संख्या में।
हाई ग्रेड बुखार के मरीजों से भरे अस्पताल मरीज सैकड़ों की संख्या में।
संवाददाता।
कानपुर। नगर में हाई ग्रेड फीवर के मरीजों से इन दिनों अस्पताल भरे पड़े हैं। यह वायरल फीवर बहुत तेजी से फैल रहा है। मंगलवार को कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट ओपीडी में मेडिसिन विभाग में करीब 700 मरीज आए, जिनमें से 250 लोग वायरल फीवर के थे। यह फीवर मरीज को कमजोर बना रहा है। अंदर से शरीर को दर्द से तोड़ देता है। वहीं, इस बुखार से डॉक्टर भी अछूते नहीं रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के तीन रेजिडेंस भी इमरजेंसी में भर्ती किए गए हैं। वहीं, जिले में डेंगू मरीजों की संख्या 355 पहुंच गई है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. डॉ. एसके गौतम ने बताया कि इन दिनों लगभग 30% मरीज ओपीडी में बुखार के आ रहे हैं। पहले यह आंकड़ा 15 से 20% था, लेकिन धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ रहा है। मरीज को तेज बुखार आ रहा है, जो भी मरीज ओपीडी में आए उनको 101 से अधिक बुखार था। उनके अंदर डेंगू और चिकनगुनिया जैसे लक्षण भी थे, हालांकि मलेरिया के रोगी ना के बराबर मिल रहे हैं, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज निकल रहे हैं। डॉ. गौतम ने बताया कि डेंगू तीन प्रकार के होते है, जो नॉर्मल डेंगू फीवर होता है इसमें घबराने की जरूरत नहीं होती है। यह आम दवा से ही ठीक हो जाता है, जो दवाइयां हम बुखार में चलाते हैं उन्हीं दवा को इसमें भी चलाते हैं, लेकिन डेंगू हिमोरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम यह दो खतरनाक होते हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है, हालांकि शॉक सिंड्रोम के मरीज इस साल कम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन हिमोरेजिक के मरीज रोजाना एक-दो आ रहे हैं। डेंगू फीवर में बुखार आता है और चार-पांच दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन डेंगू हिमोरेजिक में जब बुखार आता है तो मसूड़े, कान, नाक से खून आने लगता है या फिर शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके अलावा डेंगू शॉक सिंड्रोम सबसे खतरनाक होता है। शॉक सिंड्रोम से मरीज के फेफड़े और दिल में पानी भर जाता है। कभी-कभी इन मरीजों की हालत ऐसी होती है कि उनकी जान पर बन आती है। डॉ. एस के गौतम ने बताया कि कोरोना काल के पहले डेंगू शॉक सिंड्रोम का खतरा बहुत तेजी बड़ा था, लेकिन शॉक सिंड्रोम वाले मरीज अब बहुत कम आ रहे हैं। डेंगू के हेमोरेजिक मरीजों को भर्ती करके इलाज करना पड़ता है। डॉ. एसके गौतम ने बताया कि जिन मरीजों को दवा देने के बाद भी बुखार कंट्रोल नहीं होता है तो ऐसे में मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। इसके अलावा हेमोरेजिक मरीज को भी भर्ती करना पड़ रहा है, क्योंकि जब बुखार आता है तो मरीज किसी मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खा लेते हैं। इसमें बुखार तो नॉर्मल हो जाता है, लेकिन इसके बाद संक्रमण अपना असर दिखाना शुरू करता है। ऐसे में फिर मरीज के शरीर पर धीरे-धीरे लाल चकत्ते उभरने लगते हैं और शरीर के किसी भी अंग से खून आने की भी संभावना होती है। डॉ. गौतम ने बताया कि डेंगू का मच्छर हमेशा दिन में काटता है। इसलिए घर पर रहे या घर से बाहर हमेशा फुल कपड़े पहने। इसके अलावा अपने घर पर भी दवाइयों का छिड़काव समय पर करते रहे, क्योंकि डेंगू का मच्छर किसी भी कोने में छुपकर बैठ जाता है और अगर वह एक बार भी काट लेता है तो कुछ ना कुछ असर छोड़ जाता है। सीएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक 13 सितंबर को 11 डेंगू के मरीज, 1-1 मलेरिया व डेंगू का मरीज मिला था। 14 सितंबर को 17 डेंगू के मरीज, 5-5 मलेरिया व चिकनगुनिया के मरीज मिले थे। इसके अलावा 15 सितंबर को 18 लोगों में डेंगू, 2 लोगों में मलेरिया, 5 लोगों में चिकनगुनिया की पुष्टि हुई थी। 16 सितंबर को जनपद में 18 डेंगू, 5 मलेरिया और 1 चिकनगुनिया का मरीज मिला था। 17 सितंबर को चिकनगुनिया के 2, डेंगू के सात मरीज की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। 18 सितंबर को 1-1 डेंगू व मलेरिया का और 3 चिकनगुनिया के मरीज मिले थे।