संवाददाता।
कानपुर। नगर में इन दिनों हाई ग्रेड फीवर बहुत तेज फैला हुआ है। हर घर में एक ना एक बुखार का मरीज पड़ा है। संक्रमण का खतरा हर किसी पर मंडरा रहा है, जिसकी भी शारीरिक क्षमता थोड़ी भी कमजोर हुई बुखार तुरंत अटैक कर रहा है। चिकित्सकों की माने तो इस बार चिकनगुनिया का ट्रेंड बदल गया है। इसके चलते 8 सालों बाद चिकनगुनिया ने एक बार फिर से अटैक कर दिया है। इस बार जोड़ो और हड्डी में दर्द के साथ-साथ पूरा शरीर दर्द कर रहा है। आंखों में भी दर्द हो रहा है। इससे पहले एक बार 2016 में चिकनगुनिया काफी तेजी से फैला था। हर घर में चिकनगुनिया के मरीज थे। इन मरीजों में बुखार आने के साथ-साथ जोड़ों में दर्द होने लगता है। कई सालों बाद एक बार फिर से चिकनगुनिया ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू किया है। कानपुर शहर में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 4 से 6 मरीज चिकनगुनिया के मिल रहे हैं, जबकि प्राइवेट अस्पतालों का आंकड़ा देखा जाए तो यह कहीं ज्यादा होगा। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि इस बार चिकनगुनिया का ट्रेंड चेंज हो गया है, जिसके चलते मरीज काफी आ रहे हैं, जिन मरीजों में अर्थराइटिस की दिक्कत है उन मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मरीज उठ बैठ तक नहीं पा रहे हैं। बुखार के साथ-साथ जोड़ों में दर्द और फिर पूरे शरीर में दर्द होने से उनकी हालत ज्यादा बिगड़ रही है। बहुत से मरीज ऐसे भी हैं, जिनकी आंखों में भी दर्द हो रहा है। यह दर्द जोड़ों में सबसे ज्यादा होता है। डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि जब कोई बीमारी नई आती है तो वह सबसे ज्यादा अटैक करती है, लेकिन धीरे-धीरे हमारी बॉडी उस बीमारी के संक्रमण से लड़कर उस चीज में ढल जाती है। इस कारण बाद में वह बीमारी अपने आप कम होने लगती है। इसका सीधा उदाहरण कोरोना काल में देखा गया था, जब कोरोना आया था तो लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे उस वायरस से लड़ने की क्षमता सब में आ गई। इसी तरह अब चिकनगुनिया का ट्रेंड एक बार फिर से बदला गया है। कोई भी बीमारी होती है उसका ट्रेड कुछ सालों में जरूर बदल जाता है। नया ट्रेंड आते ही वह फिर से बॉडी को संक्रमित करने लगता है। यहीं कारण है कि इस बार संक्रमण का खतरा लोगों पर ज्यादा देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक चिकनगुनिया के कई लक्षण शरीर में देखने को मिलते हैं। आदमी के जोड़ों में हल्का-हल्का दर्द शुरू हो जाता है इसके बाद बुखार आता है या फिर तेज बुखार के साथ जोड़ों में तेज दर्द होता है। साथ-साथ शरीर भी दर्द करता है। ऐसे में तत्काल जांच करानी चाहिए। चिकनगुनिया होने पर उसका उपचार समय पर किया जा सके नहीं तो यह दर्द लंबा भी खींच सकता है। डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि चिकनगुनिया में बुखार आने के बाद शरीर पर लाल चकत्ते या रेसेस भी पढ़ रहे हैं। यह चकत्ते शरीर के किसी भी अंग में पड़ सकते हैं। डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि चिकनगुनिया का दर्द आम आदमियों में काम से कम एक महीने तक रहता है। बुखार तो उतर जाता है लेकिन दर्द बना रहता है। इस कारण बीच में दवा को बंद नहीं करना चाहिए। यदि आपने दवा को बीच में बंद किया तो दर्द और लंबा खींच सकता है। वहीं अर्थराइटिस के मरीजों के लिए यह दर्द कम से कम 2 महीने तक जाता है। 2 महीने तक जोड़ों में ऐसा दर्द होता है कि चलने फिरने में भी काफी दिक्कत होती है। चिकनगुनिया का बुखार उतारने में काम से कम 5 से 7 दिन लगते हैं। डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि चिकनगुनिया एंटीज मॉस्किटो से फैलता है। यह मच्छर जिस व्यक्ति को काटता है वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। इसके बाद यदि संक्रमित व्यक्ति को कोई अन्य मच्छर काटता है तो वह भी मच्छर संक्रमित होकर बीमारी को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाता है। यह बीमारी मनुष्य से मनुष्य को नहीं होती है। यह बीमारी मच्छर से मच्छर में फैलती है। फिर उनके काटने से मनुष्य संक्रमित होता है। डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज की हैलट अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 200 से अधिक बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से 15 से 20 मरीज जोड़ों का दर्द लेकर आ रहे हैं, लेकिन जोड़ों में दर्द होने का मतलब चिकनगुनिया नहीं होता है। इसलिए ऐसे मरीजों की जांच कराई जा रही है। जांच में रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद चिकनगुनिया का उपचार शुरू किया जाता है।