November 22, 2024

संवाददाता।
कानपुर। 
नगर में बरसात के बाद डेंगू मच्छरों का हमला काफी तेज हो गया है। इन दिनों कानपुर में डेंगू के मरीज की संख्या 450 के लगभग पहुंच चुकी हैं। रोजाना जिले में 10 से 12 मरीज डेंगू के मिल रहे हैं। पिछले 24 घंटे के अंदर डेंगू के 20 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। वहीं, चिकनगुनिया के तीन मरीज मिले हैं। तेज बुखार के कारण जाजमऊ निवासी एक अधेड़ की मौत हो गई है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि एक दिन के अंदर तेज बुखार वाले और डेंगू लक्षण वाले करीब 12 से 15 मरीज भर्ती किए गए हैं। वहीं, काशीराम अस्पताल, केपीएम हॉस्पिटल, उर्सला अस्पताल में मिलकर 50 से अधिक मरीज भर्ती हुए हैं। प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो यह आंकड़ा और ज्यादा होगा। डेंगू लक्षण युक्त मरीज के हाथ पैरों में दर्द और लीवर इन्फेक्शन ज्यादा हो रहा है। इस कारण इन मरीजों को भी भर्ती करना पड़ रहा है। जाजमऊ निवासी प्राइवेट कर्मी प्रकाश पाल (45 वर्ष) को पिछले एक हफ्ते से बुखार आ रहा था। उनका इलाज क्षेत्र के एक निजी डॉक्टर से चल रहा था। रविवार रात उनकी घर पर ही मौत हो गई। परिजन अस्पताल लेकर गए, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत्यु घोषित कर दिया। डॉक्टर के मुताबिक प्रकाश पाल को शुगर और बीपी की भी शिकायत थी। हाई ग्रेड फीवर के मरीजों से इन दिनों अस्पताल भरे पड़े हैं। यह वायरल फीवर बहुत तेजी से फैल रहा है। मंगलवार को कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट ओपीडी में मेडिसिन विभाग में करीब 800 मरीज आए, जिनमें से 250 लोग वायरल फीवर के थे। यह फीवर मरीज को कमजोर बना रहा है। अंदर से शरीर को दर्द से तोड़ देता है। वहीं, इस बुखार से डॉक्टर भी अछूते नहीं रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के दो रेजिडेंस भी इमरजेंसी में भर्ती किए गए हैं। कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. डॉ. एसके गौतम ने बताया कि इन दिनों लगभग 30% मरीज ओपीडी में बुखार के आ रहे हैं। पहले यह आंकड़ा 15 से 20% था, लेकिन धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ रहा है। मरीज को तेज बुखार आ रहा है, जो भी मरीज ओपीडी में आए उनको 101 से अधिक बुखार था। उनके अंदर डेंगू और चिकनगुनिया जैसे लक्षण भी थे, हालांकि मलेरिया के रोगी ना के बराबर मिल रहे हैं, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज निकल रहे हैं। डॉ. गौतम ने बताया कि डेंगू तीन प्रकार के होते है, जो नॉर्मल डेंगू फीवर होता है इसमें घबराने की जरूरत नहीं होती है। यह आम दवा से ही ठीक हो जाता है, जो दवाइयां हम बुखार में चलाते हैं उन्हीं दवा को इसमें भी चलाते हैं, लेकिन डेंगू हिमोरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम यह दो खतरनाक होते हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा खतरनाक डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है, हालांकि शॉक सिंड्रोम के मरीज इस साल कम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन हिमोरेजिक के मरीज रोजाना एक-दो आ रहे हैं। डेंगू फीवर में बुखार आता है और चार-पांच दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन डेंगू हिमोरेजिक में जब बुखार आता है तो मसूड़े, कान, नाक से खून आने लगता है या फिर शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके अलावा डेंगू शॉक सिंड्रोम सबसे खतरनाक होता है। शॉक सिंड्रोम से मरीज के फेफड़े और दिल में पानी भर जाता है। कभी-कभी इन मरीजों की हालत ऐसी होती है कि उनकी जान पर बन आती है। डॉ. एस के गौतम ने बताया कि कोरोना काल के पहले डेंगू शॉक सिंड्रोम का खतरा बहुत तेजी बड़ा था, लेकिन शॉक सिंड्रोम वाले मरीज अब बहुत कम आ रहे हैं। डेंगू के हेमोरेजिक मरीजों को भर्ती करके इलाज करना पड़ता है। डॉ. एसके गौतम ने बताया कि जिन मरीजों को दवा देने के बाद भी बुखार कंट्रोल नहीं होता है तो ऐसे में मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। इसके अलावा हेमोरेजिक मरीज को भी भर्ती करना पड़ रहा है, क्योंकि जब बुखार आता है तो मरीज किसी मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खा लेते हैं। इसमें बुखार तो नॉर्मल हो जाता है, लेकिन इसके बाद संक्रमण अपना असर दिखाना शुरू करता है। ऐसे में फिर मरीज के शरीर पर धीरे-धीरे लाल चकत्ते उभरने लगते हैं और शरीर के किसी भी अंग से खून आने की भी संभावना होती है। 

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