March 10, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। नदियों में पाई जाने वाली डॉल्फिन को लेकर भारत सरकार ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसके मुताबिक पूरे देश में उत्तर प्रदेश राज्य में सर्वाधिक 2397 गांगेय डॉल्फिन हैं।
यूपी में भी कानपुर के बैराज से लेकर वाराणसी से सटे विंध्याचल तक 380 किलोमीटर गंगा तक नदी में सबसे अधिक 718 डॉल्फिन दिखी। वहीं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 55 डॉल्फिन गणना के दौरान सामने आईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत भारत की 28 नदियों में 8560 किलोमीटर लंबे जल क्षेत्र में सर्वेक्षण हुआ।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2020 को जलीय क्षेत्र में डॉल्फिन के संरक्षण को प्रोजेक्ट डॉल्फिन की शुरुआत की। नदियों और समुद्र में रहने वाले डॉल्फिन की गणना का कार्य शुरू हुआ।
गंगा और ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक 28 नदियों में वर्ष 2021 से 2023 तक चली गणना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2397, बिहार में 2220, झारखंड में 162, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में 95, पश्चिम बंगाल में 815, असम में 535 और पंजाब में सबसे कम 3 डॉल्फिन पाई गई।
गंगा और ब्रह्मपुत्र के साथ बहने वाली सहायक नदियों में गणना के दौरान सबसे अधिक डॉल्फिन गंगा में पाई गई है।
तिब्बत से निकलकर बंगाल की खड़ी तक बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी में 584, चंबल नदी में 298 और घाघरा में 557 डॉल्फिन गणना के दौरान चिह्नित हुई।
वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के डा. रवि कुमार सिंह ने बताया कि 3150 दिन में वैज्ञानिक, वन विभाग और मछुआरों की मदद ली गई।
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक, कर्मचारियों की मदद से डॉल्फिन की गणना का कार्य किया गया। ट्रांजेक्ट तकनीक का उपयोग करते हुए नाव को 8 से 10 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाया।
ट्रांजेक्ट तकनीक से पानी की सतह पर मौजूद प्रत्यक्ष गणना और ड्रैग हाइड्रोफोन नाव के नीचे लगे सेंसर की मदद से पानी के अंदर मौजूद डॉल्फिन की गणना की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉल्फिन रिपोर्ट 2024 का अनावरण बीते 3 मार्च को गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात में किया।
पीएम मोदी ने ही वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जलीय क्षेत्रों में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट डॉल्फिन का शुभारंभ किया था।
भारत सरकार ने वर्ष 2009 में डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। 5 अक्टूबर को हर साल राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस मनाया जाता है।
डॉल्फिन को आईयूसीएन की रेड लिस्ट में वर्गीकृत किया गया है। यह वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के अंतर्गत आता है। इसके शिकार, व्यापार या नुकसान पहुंचाने पर कठोर दंड का प्रावधान है।
गंगा नदी की डॉल्फिन को गंगा का बाघ कहा जाता है। नदी में डॉल्फिन एक प्रमुख शिकारी के रूप में अपनी भूमिका निभाता है, और क्योंकि यह एक पारिस्थितिकी तंत्र सूचक प्रजाति है।
डॉल्फिन का गंगा में वैसा ही काम है जैसा जंगल में बाघ होता है। यह उन सभी देशों में कानूनी रूप से संरक्षित है, जहां यह पाया जाता है।
सिंधु और गंगा नदी की डॉल्फ़िन दोनों को जीवित जीवाश्म माना जाता है, क्योंकि वे अभी तक जीवित सबसे प्राचीन डॉल्फिन प्रजाति है।