November 21, 2024

संजीव कुमार भटनागर

एक दिन मनाऊँ कैसे आज
तू जानता मेरे दिल के राज़,
हर दिन तेरे नाम किया है
दिवस नहीं जीवन दिया है|

शोभित नहीं मित्रता दिवस से
यह सजे बिन रक्त शरीर से
दिलों का होता है इसमें राज़
मित्रता नहीं दिवस की मोहताज़|

मित्रता है इक अनमोल रत्न
नहीं तौल सका जग का धन
अमीरी गरीबी न जात पांत
प्यार का है अनोखा बंधन|

रिश्ते नातों की दीवार नहीं
इसमें जीत और कोई हार नहीं,
कुर्बान कर देता वो जीवन सारा
दोस्ती से बड़ा कोई उपहार नहीं|

अजीब से हैं ये मेरे रिश्ते प्यारे
मिले धरा पर हैं जन्नत से न्यारे,
कोई मिले अनजानी राह पर
कोई बचपन से चले संग हमारे|

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