कानपुर। शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी की 117 वीं जयन्ती के शुभ अवसर पर भारत सेवक समाज, कानपुर मंडल के तत्वाधान में “क्रांतिकारियों में कानपुर की भूमिका एवं भगत सिंह का योगदान” विषयक संगोष्ठी कृष्णा प्रांगण, गांधी पार्क के सामने, कानपुर में सम्पन्न हुई। सर्वप्रथम मुख्य अथिति, अध्यक्ष एवं अथितियों द्वारा सरदार भगत सिंह जी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये सभी लोगों द्वारा पुष्पांजली की गयी। शहीद ए आजम भगत सिंह का जन्म आर्य समाजी सिख परिवार में 28 सितम्बर १९०७ को तहसील जरांवाला, पंजाब प्रांत में एवं मृत्यु २३ मार्च १९३१ को लाहौर, पंजाब प्रांत में हुई थी। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। सिखधर्म के स्थान पर राष्ट्रधर्म के कारण उन्होंने अपने केश व दाढी को काटने में भी गुरेज नहीं किया। वे भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। सरदार भगत सिंह ने पं0 चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया था। उन्होंने लाला लाजपत राय की लाठीचार्च के कारण हुई मृत्यु का बदला लेने के लिए पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या में भाग लिया और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह की आवाज बुलन्द की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंकने के बाद भागने से भी मना कर दिया। इन्हें २३मार्च, १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ अंग्रेज सरकार ने सारे नियम कानूनों को ताक पर रखते हुए सायं 7 बजे फाँसी दे दी। कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी के संरक्षण में प्रताप प्रेस में छद्म नाम बलवंत सिंह के रूप में लेखन कार्य भी किया, जिन्हें पुलिस का कभी पकड़ नहीं पायी। भगत सिंह आजादी के लिये हिंदी को सर्वमान्य भाषा बनाने पर जोर देते थे। आज भी सारे देश में उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया जाता है। आज भी वे सभी जनमानस के दिलों में वे आज़ादी के असली नायकों में हैं। इस अवसर पर लेखिका एवं कवियत्री सीमा अग्रवाल ‘जागृति’ ने स्वरचित रचना के जरिये शहीदे ए आजम भगत सिंह, शहीदों पर प्रकाश डाला। महामंत्री और स्वागताध्यक्ष द्वारा सरदार भगत सिंह जयन्ती समारोह में पधारे सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत किया। इस अवसर पर उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए क्षेत्रीय पार्षद व अन्य नागरिकों को मेडल पहनाकर सम्मानित भी किया गया। मुख्य अथिति, विशिष्ट अथिति और अन्य वक्ताओं ने बताया कि देश की आज़ादी में भगतसिंह सहित अनेक क्रांतिकारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसका हमें सदैव सम्मान करना चाहिये।