October 23, 2024

कानपुर। विघ्नहर्ता भगवान गणेश की घरों, मंदिर और पंडालों में 10 दिन सेवा करने के बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी धूम धाम से विदाई कर दी गयी,हालांकि उनको विदा करते समय भक्तों  और श्रद्धालुओं की आंखें खुशी से नम हो गई। गणपति महोत्सव पान्डाल में पूरा माहौल गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों से गूंज उठा हर तरफ अबीर गुलाल उड़ता दिखाई दिया। गंगा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रतिमाओं का विसर्जन किया।गणेश चतुर्थी पर लोगों ने घरों, पंडाल और मंदिरों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की थी। इस दौरान भक्तों ने भगवान गणेश की सेवा कर उनकी पूजा-अर्चना की। विशेष आरती में बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया विशेष आरती के बाद मूर्तियों को नदी के प्रवाहित किया गया। दोपहर बाद जगह-जगह शोभा यात्रा निकाली गई। डीजे की धुनों पर भक्त जमकर झूमे। भक्तों ने जमकर अबीर गुलाल खेला। पूरा माहौल भगवान गणेश के रंग में रंगा नजर आया। श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश से अगले बरस जल्दी आने की कामना की। ‘भगवान गणेश’ की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाते हुए देखने के लिए हजारों लोग सड़कों और मोहल्लों में जमा हुए। गणेश महोत्सव के अंतिम दिन शहर के कई छोटे पान्डालों और घरों से गणपति बप्पा को विदा किया गया। शहर की हर गली मोहल्ले से गणपति बप्पा की मूर्तियों को लेकर भक्त उनको विदा करने के लिए गंगा किनारे और नहर किनारे बनाए गए कृत्रिम तालाबों में पहुंचे और उनको अगले साल तक के लिए विदा कर दिया। नगर के लगभग 8 कृत्रिम तालाबों के अलावा कुछ भक्त कस्बाई क्षेत्रों में गणपति बप्पा मोरिया..के घोष गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने गणेश महोत्सव के उपलक्ष्य में बैंडबाजा व आकर्षक झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली। निर्धारित मार्ग पर भ्रमण के बाद गणेश प्रतिमाओं का कृत्रिम तालाबों और गंगा के घाटों में विसर्जन किया गया। सड़कों पर सैकड़ों जुलूस निकले, जहां लोगों ने ढोल बजाकर, नाच-गाकर और भजन गाकर गणेश विसर्जन का आनंद लिया । भक्त रंग-गुलाल खेलते और मौज-मस्ती करते भी देखे गए। नगर के घाटों में लगभग 2500 से अधिक गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इस बार मूर्तियों की संख्या सबसे अधिक थी। विसर्जन के लिए जाने वाले भक्त खुशी और उत्साह से भरे हुए थे। गुलाबी, लाल और पीले रंग के कपड़े पहने पुरुष भगवान को प्रसन्न करने के लिए नाच रहे थे। महिलाओं ने गीत गाकर भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया। गणपति के भजनों और जुलूस में बजने वाली धुनों पर लड़कियां और बच्चे नाचते नजर आए। ‘सरसैया घाट’ पर नजारा उत्सवी था, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु गणेश जी को अलविदा कहने के लिए एकत्र हुए थे। स्थानीय लोगों ने मूर्तियों को विसर्जित करने से पहले गणपति विसर्जन की रस्में भी निभाईं। गोला घाट पर भी यही नजारा था। भजन गाते, नाचते और रंग खेलते लोगों की भारी भीड़ ने सितंबर में होली के नजारे को फिर से जीवंत कर दिया। मिश्रा घाट, गुप्ताचर घाट और सिद्धनाथ घाट पर भी कुछ प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी भी लगाई। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। एक श्रद्धालु ने बताया कि इस साल शहर में गणेश पंडालों की संख्या बढ़ने से गणपति का आनंद दोगुना हो गया है।