कानपुर। लाला लाजपत राय चिकित्सालय हैलट अस्पताल के परिसर में और मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल, जच्चा-बच्चा अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में निजी एंबुलेंस तीमारदारों से अधिक वसूली करते हैं। ये मुद्दा सोमवार को विधानसभा में भी उठा। कैंट विधानसभा के सपा विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने इस मुद्दे को उठाया है। हसन रूमी ने कहा- रात-दिन निजी एंबुलेंस यहां पर खड़ी रहती है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपना शिकार बनाकर उनको प्राइवेट अस्पताल में भेजने क नाम पर मनचाही वसूली करते हैं। हैलट से चेस्ट अस्पताल तक की दूरी महज 200 से 300 मीटर की है, लेकिन इतनी दूरी के मरीजों से हजार रुपए से कम नहीं वसूले जाते हैं।
कई बार हटाने का किया जा चुका प्रयास
इन एंबुलेंस चालकों के खिलाफ कई बार जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला व हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह अभियान चलाकर उनको भाग चुके हैं, लेकिन उन पर कोई कड़ी कार्रवाई न होने के कारण वह फिर से आकर खड़े हो जाते हैं।
विधायक हसन रूमी ने उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से इस पर सवाल जवाब किया। कहा कि कानपुर नगर में बिना मानक के निजी एंबुलेंस हैलट (लाला लाजपत राय) अस्पताल परिसर में अवैध रूप से संचालित है। इन निजी एंबुलेंस संचालकों पर पाबंदी कब लगेगी? उनके खिलाफ कब तक अभियान चलेगा?
बीमा अस्पताल का भी मुद्दा उठा
देश में बीमा अस्पतालों का संचालन राज्य सरकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम के माध्यम से करती है, जिसके संचालन का पैसा केंद्र सरकार देती है। इस दोहरी व्यवस्था के कारण शहर के अधिकांश बीमा अस्पताल बदहाली का दंश झेल रहे हैं।
विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने विधानसभा में मुद्दा उठाया कि वर्ष 2009 से पांडु नगर स्थित बीमा अस्पताल परिसर में 367 करोड़ से बन रही छह मंजिला इमारत का निर्माण काम भी अटका हुआ है। ऐसा तब है जब केंद्र में वर्ष 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री दत्तात्रेय ने छह अक्टूबर 2016 में पांडुनगर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की आधारशिला रखी थी।
केंद्रीय मंत्री के द्वारा आधारशिला रखने के बाद यहां पर कुछ दिनों तक तो काम चला, लेकिन उसके बाद पैसों की कमी बताते हुए निर्माण एजेंसी ने काम को बंद कर दिया। काम बंद होने के बाद कुछ दिनों बाद ईएसआईसी के मेडिकल उपायुक्त निरीक्षण करने भी आए थे। उपायुक्त की रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय मंत्री को दी। मंत्री ने रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2017 में केंद्रीय मंत्री ने यहां सुपर स्पेशियलिटी मॉडल हॉस्पिटल बनाने के लिए शासन को पत्र लिखा था, लेकिन अस्पताल बनने का काम आज तक पूरा नहीं हो सका है।