कानपुर। मुगलकाल के दौरान राजा अकबर के मुख्य दरबारी बीरबल की ओर से बनवाया गया भगवान शिव मन्दिर के प्रति भक्तों में आज भी आस्था है। इस मंदिर की ख्याति आसपास जनपदों तक फैली हुई है जहां सावन के महीने में भक्त भगवान शिव का पूजन अर्चन करने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों से आते हैं। मंदिर परिसर में मेला भी लगता है जिसके लिए सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किया जाता है। बतातें चलें कि कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हाइवे किनारे अज्योरी गांव में मौजूद बिहारेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। इस मंदिर की मान्यता है कि मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे शिलालेख की नाप हर बार अलग-अलग निकलती है। घाटमपुर के अज्योरी गांव में मौजूद बिहारेश्वर महादेव मंदिर को मुगलकाल में बनवाया गया था। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि राजा अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर की गर्भग्रह में बलुआ रंग का शिवलिंग स्थापित है। यहां पर दूर-दूर से आने वाले भक्त अपनी मनोकामना मांगते है। बाबा सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी करते है।कहा जाता है कि औरंगजेब की कैद से छूटकर आए मराठा छत्रपति शिवाजी ने इसी मंदिर में डेढ़ साल तक अपना भेष बदलकर रहे थे। बिहारेश्वर महादेव मंदिर में सावन के महीने में हर सोमवार को मेला लगता है। जिसमें यहां पर बड़ी संख्या में पहुंचने वाले भक्त बाबा को बेल पत्र चढ़ाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं, जिसके बाद मेला घूमते हैं। कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग से खजुराहों जाने वाले सैलानी भी इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के लिए ठहरते हैं। इसे खजुराहों यात्रा का पहला स्टाप भी कहा जाता है। यहां पर सावन में भक्त कांवड़ भी चढ़ाते हैं। परास गांव निवासी भक्त अभिनव, अंकित ने बताया कि बिहारेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर आसपास के गांव के लोगों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र है।