—हैलट की डॉक्टर ने शोध के बाद किया दावा
–80% महिलाओं के गर्भ में दम घुटने के कारण करना पड़ रहा ऑपरेशन
कानपुर। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के गर्भ में कन्हाई का पूरी तरह से विकसित न हो पाना महिलाओं के सीजेरियन करने की सबसे बडी वजह बनती जा रही है। । पता चला है कि जितनी महिलाओं का ऑपरेशन हो रहा है उसमें से 80% महिलाओं का ऑपरेशन इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि उनके गर्भ में पल रहे नवजात का दम घुटने लगता है या फिर पेट में ही पखाना कर देता है यह समस्या इन दिनों काफी ज्यादा बढ़ रही है। ये दावा किया है गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूूति रोग विभाग की डॉक्टर सीमा द्धिवेदी ने, जिन्होंने एक शोध किया है। इस शोध में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। पता चला है कि जितनी महिलाओं का ऑपरेशन हो रहा है उसमें से 80% महिलाओं का ऑपरेशन इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि उनके गर्भ में पल रहे नवजात का दम घुटने लगता है या फिर पेट में ही पखाना कर देता है। यह समस्या इन दिनों काफी ज्यादा बढ़ गई है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि पिछले एक साल में 300 महिलाओं में एक स्टडी की गई है, जिसमें देखा गया है कि जितनी भी महिलाओं का ऑपरेशन किया जा रहा है उसमें से 80% महिलाएं वह थी जिनके गर्भ में पल रहे नवजात का दम घुटने लगता था या फिर वह पेट में ही पखाना कर देता था। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों को ऑपरेशन कर बच्चे को बाहर निकालना पड़ता है। दम घुटने की समस्या उस स्थिति में होती है, जब कन्हाई पूरी तरह से बड़ा रूप नहीं ले पाती है और ऐसी परिस्थितियों में फिर बच्चा ना तो कोई मूवमेंट कर पता है और नहीं कोई रिस्पांस देता है फिर ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर के पास एक ही रास्ता बचता है कि जल्द से जल्द ऑपरेशन करके बच्चे को सुरक्षित करें। बाकी की 20% महिलाओं में बच्चे का घूमना व अन्य कारण होते हैं। डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि इससे बचने के लिए हम लोग महिलाओं का एक एनएसटी टेस्ट करते हैं फिर कलर डॉपलर कराते हैं। इससे काफी हद तक की चीज पता चल जाती है कि नवजात को 9वें महीने में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए हम लोग पहले से ही मां को जागरूक कर देते हैं ताकि समय रहते वह अस्पताल आ जाए और उचित उपचार देकर मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित किया जा सके। डॉ. सीमा द्विवेदी ने बताया कि कन्हाई का विकसित ना हो पाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है अपने वातावरण में फैला प्रदूषण और खान-पान। आजकल लोग जंक फूड, फास्ट फूड अधिक खाते हैं। इस कारण इसका असर सबसे ज्यादा पड़ रहा है इससे बच्चेदानी कमजोर हो जाती है। अगर ऐसी परिस्थितियों से बचाना है तो गर्भवती महिलाओं को मोटे अनाज का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा पौष्टिक डाइट को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। सुबह के समय ताजी हवा जरूर ले ताकि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम न होने पाए। उन्होंने बताया कि इस अध्यायन में ये भी पाया गया है कि जो महिलाएं सुबह के समय ठहलने जाती है, उनका ऑक्सीजन लेवल सबसे अच्छा है। गर्भधारण के बाद जिन महिलाओं ने अच्छा खान-पान अपना शुरू किया उन महिलाओं में सामान्य प्रसव के चांस अधिक हो जाते है। माना यह जा रहा है कि अगर बच्चेदानी मजबूत रहेगी तो महिलाएं सभी परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम रहेंगी।
फ़ोटो। डॉ. सीमा द्विवेदी