कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। प्रो पाठक को हाल ही में हैदराबाद में एआईयू की बैठक में अध्यक्ष चुना गया था। सोमवार को एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में प्रो विनय कुमार पाठक ने अध्यक्ष के तौर पर चार्ज ग्रहण किया। इस अवसर पर एआईयू के महासचिव समेत सभी सदस्य उपस्थित रहे। प्रो विनय कुमार पाठक ने पिछले दिनों आयोजित तीन दिवसीय एआईयू के सालाना सम्मेलन में देश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ हिस्सा लिया था। प्रो पाठक को सर्वसम्मति से इस प्रतिष्ठित संघ का अध्यक्ष चुना गया था । भारतीय विश्वविद्यालय संघ भारत के विश्वविद्यालयों का दुनिया भर में प्रतिनिधित्व करता है। प्रो पाठक के अध्यक्ष का पदभार संभालने की सूचना मिलते ही सीएसजेएमयू में खुशी का माहौल है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों, एवं छात्र-छात्राओं ने एक दूसरे को बधाई दी। हाल ही में भारतीय विश्वविद्यालय संघ की तीन दिवसीय 98वीं बैठक इस वर्ष 15 से 17 अप्रैल को हैदराबाद में आयोजित की गयी थी। जिसमें देश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षाविदों एवं प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। भारतीय विश्वविद्यालय संघ पूरे देश में विश्वविद्यालयों में बेहतर अकादमिक माहौल के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए प्रतिबद्ध है। एआईयू के माध्यम से यूनिवर्सिटीज के मध्य सांस्कृतिक, अकादमिक,स्पोर्ट्स, शोध, अकादमिक गतिविधयों के उच्च स्तरीय कंपटीशिन आयोजित कराए जाते हैं। साथ ही यह संघ विश्वविद्यालयों के एक साथ मिलकर कार्य करने के लिए अवसर उपलब्ध कराता है। प्रो.पाठक के भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने पर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने भी खुशी जताई। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इसे लेकर पोस्ट किया। जिसमें उन्होने इसे कानपुर के लिए गौरव का क्षण बताया। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की स्थापना साल 1925 में की गयी थी। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन से लेकर जनसंघ के बड़े हस्ताक्षर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी इसके अध्यक्ष रह चुके हैं। एआईयू के अध्यक्ष का पदभार संभालने के उपरांत प्रो पाठक ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि विकसित भारत के विजन में विश्वविद्यालयों का योगदान सबसे अहम है। हमें इस प्रकार की संस्कृति विकसित करनी है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था पूरी दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड सके। हमें तकनीक के साथ अपनी संस्कृति, गौरवमय इतिहास और बेहतर भविष्य के निर्माण का कार्य करना होगा। विश्वविद्यालयों के पास समाज एवं राष्ट्र निर्माण की अहम जिम्मेदारी है, हमें यह केंद्र में रखकर कार्य करना होगा।