कानपुर। कानपुर आईआईटी की पूर्व छात्रा प्रो. जयति वाई मूर्ति ने संस्थान के 57वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य आतिथ्य अपने संबोधन में कहा कि -अपनी कहानी खुद लिखो, दूसरे को मौका मत दो 1974 में उन्होंने जब इस संस्थान से यूजी किया था, तब उनके बैच में 250 लोगों में सिर्फ दो लड़कियां थी। इस कारण शुरूआती सफर यहां काफी मुश्किल भरा था। लड़के कंमेंट्स करते थे कि तुम लोग इंजीनियर बनकर क्या करोगी, लेकिन मैंने कठिन परिश्रम कर उनको गलत साबित किया। इस लिए हमेशा याद रखे कि अपनी कहानी आपको स्वंय लिखनी है, किसी और को मौका मत दें नही तो लक्ष्य से पीछे रह जाएंगे। शनिवार को आईआईटी 57वें दीक्षांत समारोह में 2332 छात्रों को डिग्री दी गई। दीक्षांत समारोह में कंप्यूटर साइंस के कुंवर प्रीत सिंह को प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। पांच साल के यूजी प्रोग्राम में निदेशक गोल्ड मेडल केमिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र विप्लव पटेल और चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम में निदेशक गोल्ड मेडल अवार्ड कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के छात्र सार्थक कोहली को दिया जाएगा। डॉ. शंकर दयाल शर्मा मेडल फिजिक्स की गरिमा बावा और रतन स्वरूप मेमोरियल प्राइज कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के तेजस राम कृष्णन को दिया गया। समारोह में छात्रों को ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल डिग्री दी गई। डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों में पीएचडी के 226, एमटेक के 57 और बीटेक के 842 छात्र शामिल हैं। एमएससी के 165 छात्र, एमबीए के 36, एमटेक पीएचडी के 12, एमडेस की ज्वाइंट डिग्री में एक, एमडेस के 17, एमएस (शोध) के 77, पीजीपीएक्स-वीएलएफएम के 40, डबल मेजर के 26, ड्युअल डिग्री के 89, एमएस पीडी के 14, बीएस के 125 और ई-मास्टर्स के 205 छात्र शामिल हैं। दीक्षांत समारोह में कानपुर शहर की कोमल चौहान को पीएचडी की डिग्री दी गई। 2017 में आईआईटी कानपुर के पीएचडी कार्यक्रम में शामिल होने वाली कोमल की गाइड प्रो. मुनमुन झा रही हैं। कोमल का विषय दलित महिलाओं की कृषि में स्थिति था। उन्होंने मुजफ्फरनगर जाकर गन्ने के खेतों में काम करने वाली दलित महिलाओं पर शोध किया थे। प्रो. जयति वाई. मूर्ति ने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी की है। 2012 में उन्हें प्रतिष्ठित पूर्व छात्रा के रूप में सम्मानित किया गया था। उन्हें 2022 में ओएसयू के 16वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया, जो विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं। प्रो. मूर्ति इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है। उन्होंने कहा कि आईआईटी से बीटेक करने के बाद मैं यूएस गई और वहां से पीएचडी की। इसके बाद वहीं पर असिसटेंड प्रोफेसर के पद पर नौकरी लग गई मगर मैं उस नौकरी से संतुष्ट नहीं थी। मुझे लगता था कि ऐसी पढ़ाई से क्या फायदा जो समाज के काम न आ सके। डिग्री लेने वाले छात्र एक रंग की पोशाक में नजर आएं। इसके लिए समारोह में आईआईटी कानपुर प्रशासन ने ड्रेस कोड जारी किया था। इसमें पुरुष छात्र क्रीम रंग का कुर्ता और सफेद पायजामा पहनकर कार्यक्रम में आए और छात्राएं क्रीम रंग का कुर्ता, सफेद चूड़ीदार या लैगी और जूते पहनकर । हर छात्र-छात्राओं को मंच पर बुलाकर उन्हें मुख्य अतिथि के हाथों सम्मानित किया गया।