कानपुर विश्वविद्यालय में होगी जैन शोध पीठ की स्थापना
______जैन धर्म,साहित्य और धरोहर पर चलेंगे कोर्स
कानपुर।धर्म और अध्यात्म की भूमि भारत में अनेकानेक सभ्यतायें संस्कृतियाँ विकसित हुई जिन्होंने भारतीय समाज को सम्यक दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कालान्तर में अतीत की यह कीमती धरोहर संरक्षण, सम्यक् संवहन और समेकित विमर्श के अभाव में धूमिल हो गयी।इस क्रम में अध्यात्म के क्षेत्र में अप्रतिम कार्य करने हेतु विश्वविद्यालय में एक जैन शोध पीठ की स्थापना निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर के आर्शीवाद से की जा रही है। जिसका नामंकरण पूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के नाम पर किया गया है। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह पीठ जैन साहित्य के विषद् अघ्ययन, उनकी पूजा पद्धतियों और ज्ञान को समाज में प्रचारित तथा प्रसारित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
नैक ए प्लस प्लस ग्रेड और यूजीसी कैटेगरी वन छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय में अन्य विषयों के अलावा प्राच्य विद्यायों के अध्ययन पर व्यापक जोर दिया जा रहा है।
जैन शोध पीठ के अघ्यक्ष/सचिव सुमित जैन शास्त्री नियुक्त किये गये है तथा विश्वविद्यालय द्वारा राजीव जैन को पीठ का समन्वयक नियुक्त किया गया है।
इस मौके पर प्रो0 सुधांशु पाण्डिया, डा0 अनिल कुमार यादव, कुलसचिव, अशोक कुमार त्रिपाठी, वित्त अधिकारी के साथ आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोध न्यास के प्रदीप जैन(तिजारा), सुधीन्द्र कुमार जैन(सी.ए.), अरविन्द कुमार जैन(सी.ए.), डॉ. राज तिलक, महेंद्र कटारिया तथा राकेश जैन इत्यादि उपस्थित रहे।
शोधपीठ के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं
(क) पीठ द्वारा जैन दर्शन तथा इतिहास सम्बन्धित प्राकृत/पाली भाषाओं के उत्थान हेतु पाठ्यक्रमों को विकसित कर, उनका विधिवत् संचालन कराना।
(ख) जैन गणित तथा इतिहास के प्रचार हेतु पाठ्यक्रमों को विकसित कर उनका विधिवत् संचालन कराना।
(ग) उपरोक्त सभी पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के नियमानुसार सर्टिफ़िकेट/डिप्लोमा/ स्नातक/परास्नातक स्तर पर वैकल्पिक या मुख्य विषय के रुप में संचालित कराना।
(घ) जैन धर्म, दर्शन तथा इतिहास पर शोध करने वाले शोधार्थियों को प्रोत्साहित करना।
(ड)जैन धर्म, दर्शन तथा पूजा आदि को पढ़ने वाले या शोध करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति के माध्यम से प्रोत्साहित करना।