संवाददाता।
कानपुर। नगर मे राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर में बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रोफेसरों ने पेड़ो के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लिया। इसके साथ ही संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा की अगुआई में पौधरोपण भी किया गया। प्रो. परोहा ने बताया कि संस्थान परिसर में जिन स्थानों पर पेड़ों की मात्रा कम है, उनको चिन्हित कर लिया गया है और मानसून से पूर्व वहां पर वृहद रूप से पेड लगाना हमारी प्राथमिकता है। वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रजातियों के पेड़ कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. लोकेश बाबर द्वारा उपलब्ध करवाए गए। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्पेंटवाश ड्राई और पोटाश डिराइव्ड मोलासेस इकाई का उद्घाटन करते हुये प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि देश में उर्वरकों की खपत अधिक और उत्पादन बहुत कम है। भारत में सालाना उपयोग किए जाने वाले उर्वरक की मात्रा वैश्विक उपयोग का केवल 16.1% है। देश के किसानों को प्रमुख पोषक तत्वों की कमी यथा-नाइट्रोजन 25%, फास्फोरस 90% और पोटैशियम का 100% आयात करना पड़ता है। इसमें बहुमूल्य विदेशी मुद्रा व्यय होती है। हम विश्व में सबसे बड़े उर्वरक आयातक हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसानों के लिए उर्वरकों की दर कम रखने के लिए बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान करती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 से ये सब्सिडी प्रदान करती है। सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए लगभग 21.5 बिलियन डॉलर रुपए आवंटित किए थे। कृषि रसायन के सहायक आचार्य डॉ. अशोक यादव ने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर स्पेंटवाश ड्राई पावडर, पोटाश डिराइव्ड मोलासेस एवं सीबीजी. (कंप्रेस्ड बायो गैस) बनने के उपरांत प्राप्त द्रव खाद व फर्मेंटेड आर्गेनिक खाद के अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को मिलाकर आवश्यकतानुसार उर्वरक तैयार करने की प्रायोगिक इकाई की स्थापना से उर्वरक उत्पादन के नए अवसर तैयार होंगें। इस अवसर पर भारत विकास परिषद्‚ रामकृष्ण शाखा द्वारा विवेकानन्द प्रतिमा‚ कारगिल पार्क मे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र मे अभूतपूर्व कार्य करने वालो को ‘पर्यावरण मित्र सम्मान’ से सम्मानित किया गया।