संवाददाता।
कानपुर। नगर मे उर्सला अस्पताल में अचानक से एक वार्ड में आग लग गई। आनन फानन में स्टाफ और नर्स ने मिलकर अग्निशमन यंत्र के माध्यम से महज 15 मिनट के अंदर कमरे की आग पर काबू पा लिया। परेशान न हो अस्पताल के अंदर यह कोई घटना नहीं बल्कि फायर विभाग की ओर से मॉकड्रिल कर स्टाफ को आग बुझाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। दिल्ली के चाइल्ड केयर अस्पताल में आग लगने से 6 बच्चों की मौत हो गई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में मॉकड्रिल कर आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए उन्हें प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया। फायर विभाग के अधिकारियों ने स्टाफ को बताया कि सबसे पहला काम हमको यह करना है कि जो भी परिसर में अग्निशमन यंत्र लगे है वो हमेशा फिट रहने चाहिए। इसके लिए समय-समय पर गैंस सिलेंडर को चेक कराते रहना चाहिए। इसके अलावा पानी की लाइन जो बिछाई गई है वह सही होनी चाहिए। यदि यह सब चीजें सही रहेगी तो आग लगने की स्थिति में जल्द काबू पा लिया जाएगा। प्रशिक्षण में बताया गया कि यदि आग शुरुआती स्थिति में है तो ऐसे में अपने दिमाग को स्थिर करते हुए फायर के सिलेंडर का प्रयोग कर उसे वहीं पर ही रोक सकते हैं। यदि ऐसी स्थिति में हम लोग भागे तो आग विकराल रूप धारण कर लेगी, फिर इसे बुझाने के लिए हाई प्रेशर के माध्यम से पानी की बौछार मारने की जरूरत पड़ती है। प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि यदि सिलेंडर में आग लगती है तो ऐसी स्थिति में सबसे पहले घर में जो भी मोटा कपड़ा रखा हो उसे गीला कर लें, फिर उस गीले कपड़े को सिलेंडर के चारों तरफ लपेट दें। कपड़े को इस तरह से लपेटे की सिलेंडर ऊपर की तरफ से पूरी तरह से ढ़क जाए। यदि ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाएगी तो आग अपने आप शांत हो जाएगी। प्रशिक्षण के बाद सभी नर्स ने आग को बुझाकर दिखाया और सिलेंडर को भी चलाया।