भूपेंद्र सिंह।
कानपुर। उत्तर भारत का प्रसिद्ध ग्रीन पार्क ऐतिहासिक विरासत और दिग्गजों का गढ़ होने के बावूजद स्टेडियम में कई सालों से क्रिकेट मैच का आयोजित न होना अब सफेद हाथी होकर रह गया है। बीते साल 2009 से ग्रीनपार्क स्टेडियम में निर्माण कार्य में लगभग 70 से 75 करोड रूपए शासन की ओर से खर्च किए जा चुकें हैं। अब यहां पर मैच न मिलने से स्टेडियम ठूंठ बना खडा हुआ है जिससे क्रिकेट समर्थकों को भी निराशा होती है। ऐसे में शहर की जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि आखिर ग्रीन पार्क में अब मैच क्यों नहीं होते जबकि पास ही एक एक शहर में एक साथ कई मैच आयोजित किए जाते हैं।. इसका जवाब काफी उलझा हुआ है. ग्रीन पार्क स्टेडियम खेल विभाग के अंतर्गत आता है लेकिन मैचों के आयोजन में यूपीसीए की अहम भूमिका होती है।दोनों के बीच आंतरिक तौर पर कई टकराव भी सामने आ चुकें हैं जिनका खामियाजा क्रिकेट समर्थकों को भुगतना पड़ रहा है।. सीधे तौर पर खेल विभाग या यूपीसीए के अधिकारियों ने मैच न आयोजित होने के सवालों पर चुप्पी साध रखी है।. ग्रीन पार्क के स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स में फुटबॉल से लेकर बालीवॉल के लोकल मैच तो खूब आयोजित होते हैं लेकिन मुख्य क्रिकेट स्टेडियम पर केवल चुनिन्दाु मैच ही आयोजित हो पा रहें हैं। इसके पीछे का विवाद मैदान आवन्ट्न को लेकर भी माना जाता है और कुछ लोग इसे यूपीसीए के पदाधिकारियों की उदासीनता से भी देखते हैं।
यूपीसीए के पदाधिकारियों का इकाना स्टेडियम से प्रेम भी इसके पीछे का कारण
क्रिकेट से जुडे कई लोग यूपीसीए के पदाधिकारियों का इकाना स्टे्डियम के प्रति अटूट प्रेम भी बतातें हैं उनका मानना है उस स्टेडियम के मालिक और संघ के कई निदेशकों के बीच आपसी तालमेल बहुत ही बढिया तरीके से चल रहा है। आपकों बतातें चलें कि साल 2017 से पहले कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में मैच मिलना आसान माना जाता था क्योंकि एक ही अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम होने के चलते ग्रीन पार्क पर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का ज्यादा ध्यान रहता था।. साल दो साल में ग्रीन पार्क में मैच जरूर होते थे लेकिन 2017 से सब बदल गया. इसकी एक बड़ी वजह लखनऊ का इकाना स्टेडियम माना जा रहा है.। साल 2017 में बनकर तैयार हुआ ग्रीन पार्क से ज्यादा दर्शक क्षमता वाला इकाना स्टेडियम काफी अत्याधुनिक हैं। पहले मैच के बाद से ही पिछले 5 वर्षों में इकाना में तोबड़तोड़ मैच हो चुके हैं. दर्शक क्षमता और रेवेन्यू के लिहाज से इकाना के आगे ग्रीन पार्क पिछड़ा हुआ देखा जाता है।. ऐसे में यूपीसीए प्रदेश की राजधानी में बने इस स्टेडियम को ज्यादा महत्व देता है, जिसका नतीजा यह है कि पहले से मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे ग्रीन पार्क की स्थिति इकाना के तैयार होने के बाद से और खराब होती चली गई है।
ग्रीन पार्क में मैच न होने की अहम वजह
ओद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर रहा कानपुर शहर पिछले कुछ वर्षों में विकास की रफ्तार में काफी पीछे छूट गया है।. इसका नतीजा यह है कि कानपुर ट्रैफिक से लेकर अपनी कई बेसिक सुविधाओं के लिए सघर्ष करता रहा है।. इसका सीधा असर ग्रीन पार्क स्टेडियम पर भी पड़ा है।. ग्रीन पार्क में मैच न होने की एक बड़ी वजह टेक्नोलॉजी के मामले में स्टेडियम का पिछड़ना माना जाता है।. देश के अन्य स्टेडियमों में जिम से लेकर हाईटेक ड्रेसिंग रूम्स, अत्याधुनिक लाइटिंग सिस्टम, 360 डिग्री कैमरा जैसी सुविधाएं मिलती हैं, उनके मुकाबले ग्रीन पार्क में ये सुविधाएं काफी कम पड़ जाती हैं।. इसके अलावा कानपुर की एयर कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है जिसके चलते आम तौर पर कानपुर वाले खिलाड़ियों को लखनऊ एयरपोर्ट से कानपुर लाने के लिए लंबे सड़क मार्ग का जोखिम भरा सफर करना पड़ता है। इन सबके बीच एक बड़ी समस्या खिलाड़ियों के ठहरने के लिए मानकों के अनुरूप हाईटेक होटल का न होना भी बताया जाता है।. होटलो की यह कमी क्रिकेट मैच कराने की सबसे बड़ी समस्या माना जाता है। यूपीसीए के पदाधिकारी भी दबे मुंह इन कमियों को स्वीकार करते हैं।. इसके अलावा कई बार मैच आयोजित करने को लेकर आवेदन किए जाते हैं लेकिन कई बार स्टेडियम की तकनीकी दिक्कतों के चलते स्टेडियम को टेस्टिंग के दौरान मानक के अनुरूप उसको नजर अन्दाज कर दिया जाता है। नतीजा ये कि ग्रीन पार्क के हाथ में आ रहे अहम इंटरनेशनल मैच के साथ ही लगभग 14 आईपीएल के मैच भी इकाना की झोली में चले गए और ग्रीनपार्क उससे वंचित रह गया।
बढ़ सकती है दर्शक क्षमता
बता दें कि पिछले डेढ साल पूर्व ग्रीन पार्क स्टेडियम में रोड सेफ्टी सीरीज और बीते साल सितम्बर महीने में यूपीपीएल के मैच खेले गए थे। उस दौरान यहां दिग्गज क्रिकेटरों का जमावड़ा देखने को मिला था. इसके बाद से यहां कोई और बढे मैच आयोजित नही करवाए जा सके हैं। इसके चलते क्रिकेट जगत के विशेषज्ञ सीधे तौर पर यह स्वीकार कर रहे हैं कि निश्चित तौर पर ग्रीन पार्क में मानकों के लिहाज से दिक्कतें हैं, जिसके चलते मैच नहीं स्वीकृत हो पा रहे हैं।. हालांकि अब यह दावा किया जा रहा है कि यूपीसीए और खेलविभाग दोनों ने ही स्टेडियम की दर्शक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा है।. अब इस पर फैसला कब होगा यह देखना सबसे अहम होगा. दावा है कि यदि इस प्रपोजल को हरी झंडी मिल जाती है तो ग्रीन पार्क की दर्शक क्षमता लगभग 58,000 हो जाएगी।
एक फैसले पर निर्भर है भविष्य ?
अब यह देखना अहम होगा कि कानपुर के इस ग्रीन पार्क स्टेडियम में मैच कराने को लेकर हो रही कवायदें सफल होती है या नहीं।. स्टेडियम को लेकर यूपीसीए आधुनिकता के दावे तो कर रहा है लेकिन अगर ग्रीनपार्क को आईपीएल और अन्त.र्राष्ट्री य मैच नहीं मिले, तो क्रिकेट समर्थकों के लिए यह बेहद निराशाजनक होगा, साथ ही ग्रीन पार्क के भविष्य को लेकर सवाल खड़े होने लगेंगे।