कानपुर। नगर में दोपहर का पारा 47 डिग्री तक पहुंच रहा है तो वहीं अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अस्पतालों में हिट क्रेंस और हिट एग्जॉशन के मरीज पहुंच रहे हैं। पिछले एक हफ्ते के अंदर ओपीडी में लगभग 250 से 300 मरीज हर रोज पहुंच रहे हैं। अगर मेडिसिन विभाग की बात करें तो मेडिकल कॉलेज, उर्सला अस्पताल में रोजाना ओपीडी में हजारों की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। उर्सला अस्पताल, कांशीराम अस्पताल में भी मरीजों की संख्या लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई है। इन मरीजों में कम से कम 8 से 10% मरीज हीटस्ट्रोक के आए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि अधिक गर्मी पड़ने के कारण पिछले एक हफ्ते के अंदर मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि शुरू में लोगों को पैरों में दर्द और प्यास ज्यादा लगती है। शरीर में कमजोरी महसूस होती है। ऐसे लोगों को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और अपनी देखभाल करनी चाहिए। जरा सी लापरवाही हीट स्ट्रोक में बदल सकती है। अगर हीट स्ट्रोक हुआ तो इसमें मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। डॉ. कुशवाहा ने बताया जब किसी व्यक्ति को हीटस्ट्रोक होता है तो उसके शरीर का तापमान सीधे 105-106 डिग्री पर पहुंच जाता है, जोकि सीधे दिमाग पर असर करता है। ऐसे में मरीज को दवा देकर बुखार उतारना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे समय मरीज को ठंडे पानी की पट्टी करनी चाहिए या फिर बर्फ के पानी से उसे नहलाना चाहिए या एसी वाले कमरे में बैठाना चाहिए। प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा ने कहा कि घर से निकलते समय शरीर को पूरी तरह से ढक लें। हो सके तो दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक ना निकलें। क्योंकि इस दौरान धूप का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। मौसमी फल-सब्जियों खाएं। समय-समय पर पानी जरूर पीते रहें।