संवाददाता।
कानपुर। नगर में तैनात रहे दो थानेदारों का विवाद पहले हाईकोर्ट और अब सीबीआई तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि इस तरह के मामले की जांच सीबीआई से कराई जा सकती है या नहीं। इसके बाद सीबीआई ने इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज कानपुर पुलिस से मांग लिए हैं। सीबीआई के जवाब के बाद ही तय होगा कि सीबीआई जांच होगी या नहीं। काकादेव थाना क्षेत्र में रहने वाले सौरभ और विनोद को अक्तूबर 2023 में नवाबगंज पुलिस ने मादक पदार्थ तस्कर बताते हुए अरेस्ट करके जेल भेज दिया था। उस समय तत्कालीन काकादेव थाना प्रभारी विनय शर्मा ने अरेस्टिंग का विरोध जताया था। उनका कहना था कि बगैर उन्हें सूचना दिए उनके थाना क्षेत्र से किसी की अरेस्टिंग कैसे कर ली गई। इंस्पेक्टर विनय का कहना है कि सौरभ और विनोद को पुलिस ने उठाया और दो लाख रुपए की मांग की थी। मांग पूरी नहीं होने पर दोनों को जेल भेज दिया गया था। आरोपियों ने भी झूठा जेल भेजे जाने का दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। पुलिस ने उन्हें गलत तरीके से अरेस्ट करके जेल भेजा है। उनके पास सीसीटीवी समेत कई अहम साक्ष्य हैं। सिर्फ थानेदार ने रोहित तिवारी को घूस के दो लाख नहीं देने पर मादक पदार्थ रखने में जेल भेज दिया । उनके पास दो लाख रुपए मांगने से लेकर अन्य कॉल रिकॉर्डिंग तक है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि पहले सीबीआई मामले की जांच कर ये पता करे कि ये मामला क्या सीबीआई जांच के लायक है भी या नहीं। इसके लिए हाईकोर्ट ने कानपुर पुलिस से कहा है कि वह अपने साथ सौरभ और विनोद की एफआईआर, दोनों का क्रिमिनल रिकॉर्ड, इविडेंस और केस डायरी लेकर हाईकोर्ट कोर्ट में हाजिर हों। 17 अप्रैल को हाईकोर्ट के माध्यम से विवाद से जुड़े सारे प्रपत्र सीबीआई को पुलिस सौंपेगी। इसी मामले में पुलिस कमिश्नर ने इंस्पेक्टर विनय शर्मा को संस्पेंड कर दिया था। दोनों थानेदारों की अपराधियों से सांठ गांठ की कहानी सामने आने के बाद विभाग की बदनामी हो रही थी। पुलिस कमिश्नर ने इसके चलते सस्पेंशन किया था। वहीं विनय शर्मा निलंबन के डिसीजन के खिलाफ हाई कोर्ट चला गया। कोर्ट के आदेश पर विनय शर्मा को बहाल तो कर दिया गया, लेकिन उन्हें थाने का चार्ज नहीं मिला। इतना ही नहीं गैर जनपद ललितपुर भेज दिया गया है।