July 15, 2025

—ग्रीन पार्क स्टेडियम की जरूरत इस साल भी पूरी नही हो सकी




संवाददाता
कानपुर। कानपुर के विश्व  प्रसिद्ध ग्रीनपार्क अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में बहु्प्रतीक्षित लाल मिटटी वाली पिच के निर्माण का फैसला अभी भी अधर में लटका है।  इसके पीछे का कारण उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के अधिकारियों  की हीला-हवाली है जिसके चलते  विकेट निर्माण प्रक्रिया को लटका दिया गया है। मुम्बई से लाल मिटटी की आपूर्ति न हो पाने से ग्रीन पार्क स्टेडियम में विकेट बनाने का काम बीते लम्बेू समय से रुका हुआ है। सूत्रों ने पुष्टि की कि इस साल मई की शुरुआत में 35 टन लाल मिट्टी की आपूर्ति का ऑर्डर दिया गया था और यूपीसीए को समय पर लाल मिट्टी की आपूर्ति के लिए कंपनी को तुरंत भुगतान करना था। लेकिन यूपीसीए में शीर्ष स्तर पर बैठे प्रशासनिक अधिकारियों में से एक ने जानबूझकर इस पर ध्यान नहीं दिया और पूरी प्रक्रिया में देरी की।सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि मुंबई स्थित फर्म ने बरसात के मौसम के कारण तत्काल मिट्टी की आपूर्ति करने में असमर्थता व्यक्त की है। इस स्टेडियम में सितंबर-अक्टूबर में भारत और अस्ट्रेलिया की ए टीमों के बीच 30 सितंबर, 3 और 5 अक्टूबर को तीन एक दिवसीय मैच खेले जाने हैं।  लाल मिट्टी का एकमात्र विकेट खेल के लिए आदर्श है, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हो गई है, क्योंकि यूपीसीए के प्रशासन ने कथित तौर पर मुंबई में हितेश एंटरप्राइजेज को भुगतान में देरी की है।सूत्रों ने पुष्टि की कि इस साल मई की शुरुआत में 35 टन लाल मिट्टी की आपूर्ति का ऑर्डर दिया गया था और यूपीसीए को समय पर लाल मिट्टी की आपूर्ति के लिए कंपनी को तुरंत भुगतान करना था। सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि मुंबई स्थित फर्म ने बरसात के मौसम के कारण तत्काल मिट्टी की आपूर्ति करने में असमर्थता व्यक्त की है। यूपीसीए के सूत्र बताते हैं कि मिटटी आपूर्ति के लिए हुयी देरी से यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव खासे नाराज हो गए। उन्होने नाराजगी व्यक्त करते हुए  हस्तक्षेप किया जिसके बाद ही हाल ही में फर्म को 3.5 लाख रुपए की राशि जारी की गई है। यूपीसीए के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “वास्तव में प्रशासनिक अधिकारी का क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि उनके पास खेल की कोई पृष्ठभूमि नहीं है और वे एक टिकट बुकिंग संगठन में कार्यरत थे। इसलिए उनसे खेल के लिए सकारात्मक सोच की उम्मीद करना संभव नहीं है। माना जा रहा है कि खिलाड़ियों की यह लंबे समय से मांग थी क्योंकि उन्हें घरेलू सत्र के दौरान देश के अन्य हिस्सों में लाल मिट्टी की सतह पर खेलने का मौका मिलता है। कानपुर में लाल मिट्टी की सतह होने के बाद वे देश के अन्य हिस्सों में होने वाले मैचों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे। ग्रीन पार्क स्टेडियम को पिछले साल अक्टूबर में भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट मैच के बाद से ही अपने खराब बुनियादी ढांचे के लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जब खराब जल निकासी प्रणाली के कारण बारिश नहीं होने के बावजूद आउटफील्ड गीली होने के कारण कई दिनों तक खेल नहीं हो सका था। इससे प्रशंसकों और विशेषज्ञों में निराशा पैदा हो गई, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए इस स्थल की उपयुक्तता पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं,आईसीसी ने ग्रीन पार्क स्टेडियम को खराब आउट-फील्ड स्थितियों के लिए एक डिमेरिट पॉइंट दिया। यूपीसीए के एक अन्य अंदरूनी सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “दरअसल, अब यूपीसीए में कुछ बाबू किस्म के लोग ही सब कुछ चला रहे हैं और यही वजह है कि स्टेडियम में इतनी समस्याएं व्याप्त  हैं। ये जब तक रहेंगे ग्रीनपार्क का भला होते दिखायी नही दे रहा है।

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