आ स. संवाददाता
कानपुर। नगर के सिद्धिविनायक मंदिर समेत तीन धार्मिक स्थलों को उड़ाने की साजिश रचने वाले कमरूज्जमा के इरादे बहुत खतरनाक थे। विशेष न्यायाधीश एनआईए कोर्ट में जो चार्जशीट कमरूज्जमा के खिलाफ दाखिल की गई थी उससे कई अहम और बड़े खुलासे हुए है।
जिसे साबित करने में एनआईए कामयाब भी रही। जिसके कारण हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी कमरूज्जमा उर्फ डा. हुराय उर्फ कमरूद्दीन को आजीवन कारावास की सजा हो सकी। एनआईए ने इस मामले में बहुत ही विस्तृत विवेचना की। जिसमें पता चला कि भारत में आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए 20 घंटे तक पैदल चलकर किश्तवाड़ के जंगलो में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी कैम्प में ट्रेनिंग ली थी। जिसके बाद कमरूज्जमा कानपुर आ गया। यहां पर सन 2018 में एटीएस ने उसे चकेरी से गिरफ्तार किया था।
एनआईए ने जो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की उससे मिली जानकारी के अनुसार जून 2017 कमरूज्जमा और ओसामा दर दचिन, दक्षिण किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर गए थे। ओसामा ने कमरूज्जमा को हिजबुल के दो सक्रिय आतंकवादियों हिजबुल का जिला कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर उर्फ जहांगीर सुरूरी और हजारी उर्फ रियाज अहमद हिजबुल का जिला डिप्टी कमांडर से मिलवाया। दोनों आतंकवादियों के पास एके-47 राइफलें थीं। दोनों आतंकियों के निर्देश पर कमरूज्जमा पैदल बीस घंटे से अधिक की यात्रा पूरी की और किश्तवाड़ के निकटवर्ती जंगल के अंदर एक अज्ञात स्थान पर पहुंचा था।
वहां पर आतंकी कैम्प में उसने शारीरिक सहनशक्ति और हथियार चलाने का नौ महीने की ट्रेनिंग ली थी। मार्च 2018 में कमरूज्जमा ने ट्रेनिंग कैम्प छोड़ा और वापस अपने गांव असम चला गया। जाने से पहले जहांगीर ने कमरूज्जमा को भारत में आतंकी घटना करने के लिए 85 हजार रुपए नकद दिए थे। एनआईए की चार्जशीट में यह भी जानकारी मिलती है कि कमरूज्जमा की एक 47 रायफल के साथ जारी हुई तस्वीर मन्नान वानी (एचएम का मारा गया आतंकी) के फेसबुक अकाउंट से अपलोड की गई थी। जो प्रतिबंधित संगठन के नए सदस्यों की तस्वीरें अपलोड करने के लिए जाना जाता था। इन तथ्यों के साथ एनआईए ने कोर्ट में कमरूज्जमा को हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक्टिव मैंबर घोषित किया था।
एके 47 के साथ तस्वीर सामने आने पर कमरूज्जमा को गिरफ्तारी का डर सताने लगा था। उसी डर से वो असम निवासी डुलु पटौरी की मदद से बांग्लादेश निकल गया और वहां पर अपने रिश्तेदार मीर हुसैन के यहां गांव जुगिल पारा जयक बाजार बांग्लादेश में छुपकर रहने लगा। यहां रहने के दौरान कमरूज्जमा ने कानपुर में आतंकी घटना को अंजाम देने और वहां पर बेस बनाकर काम करने को लेकर अपने साथियों से बातचीत की थी।
25 अगस्त 2018 को कमरूज्जमा कानपुर के लिए निकला। उसके कानपुर जाने की व्यवस्था ओमर फारूक नाम के व्यक्ति ने की थी। कमरूज्जमा और उमर फारुक होजई रेलवे स्टेशन से अवध असम एक्सप्रेस के जनरल कोच में सवार हुए। वहां से न्यू जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) तक गए और न्यू जेलपाईगुड़ी से उमर फारुक अपने मूल स्थान पर लौट गया था। कमरूज्जमा ने अपनी आगे की यात्रा जारी रखी। लखनऊ रेलवे स्टेशन पहुंचने पर उसे तौफीक ने रिसीव किया और आगे कानपुर की बस में बैठा दिया था। तौफीक ने ही रामादेवी चैराहे पार्क के पास उजेरी लाला के स्वामित्व वाले एक कमरे की व्यवस्था की थी जिसमें कमरूज्जमा रह रहा था। यहीं से एटीएस ने उसे 13 सितम्बर 2018 को गिरफ्तार कर लिया था।