January 21, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर।  बैंक के रिटायर्ड चीफ मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 40.45 लाख रुपए की ठगी को अंजाम दिया गया है । शातिरों ने ठगी को अंजाम देने के लिए कानपुर में तैनात रहे तत्कालीन एडीशनल सीपी आकाश कुलहरि का नाम लेकर इस ठगी को अंजाम दिया है ।
पीड़ित ने इस मामले में साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के साथ ही साइबर थाना कानपुर में तहरीर दी है। पुलिस के मुताबिक मामले में जांच कर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
कृष्णा टावर इन्द्रप्रस्थ अपार्टमेंट रतनलाल नगर निवासी इन्द्रजीत सिंह राजपूत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से चीफ मैनेजर पद से रिटायर्ड है। उन्होंने बताया कि 19 दिसम्बर को उनकी पत्नी के मोबाइल नम्बर पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कस्टमर सर्विस सेंटर का कर्मचारी बताया।
उसने कहा कि पत्नी ने केनरा बैंक से अकाउंट खुलवाकर  और उससे क्रेडिट कार्ड इश्यू कराने के साथ 21 सितम्बर 2024 को क्रेडिट कार्ड से 1,09,999 रुपए का फ्रॉड किया गया है। पीड़ित के मुताबिक उनकी पत्नी घबरा गई औऱ कहा कि वो कभी केनरा बैंक गई ही नहीं। उन्होंने इसके बाद फोन इंद्रजीत सिंह को पकड़ा दिया।
इन्द्रजीत के मुताबिक उन्होंने फोन करने वाले को अपना परिचय दिया। साथ ही यह भी बताया कि वो हार्ट पेशेंट है। इंद्रजीत के मुताबिक तब फोन करने वाले ने फ्लोर मैनेजर नवीन शर्मा नाम के व्यक्ति से बात कराई। उसके बाद फोन दिल्ली पुलिस के अधिकारी के पास चला गया।
अधिकारी बनकर बात करने वाले व्यक्ति ने बहुत भला बुरा कहा और अन्त में कहा कि आप अपना और अपनी पत्नी के आधार कार्ड की छायाप्रति और दोनों के स्पष्ट नाम बतायें जिससे मैं ठीक से देख सकूं।
इंद्रजीत के मुताबिक इसके बाद फोन पर दूसरा अधिकारी बात करने लगा और उसने कहा कि आपके नाम से क्रेडिट कार्ड नम्बर 5181219255140121 से 21 सितम्बर 2024 को बिल्डिंग नम्बर 30, रीगल बिल्डिंग, स्ट्रीट कनॉट प्लेस, नई दिल्ली से जारी हुआ है। इस पर एक मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। इसमें 2.56 करोड़ रुपए की मनी लाड्रिंग का आरोप लगा है।
जांच में पता चला है कि कमीशन के तौर पर पीड़ित को 25.60 लाख रुपए दिए गए हैं। उनके पास से 200 से ज्यादा आधार कार्ड और क्रेडिट कार्ड मिले हैं उन्हीं में से आपका भी कार्ड है इसीलिये आप पर भी शक कर रहे हैं।
इंद्रजीत के मुताबिक इतना सब सुनने के बाद वो औऱ उनकी पत्नी घबरा गए। तब फोन करने वाले ने कहा कि बड़े अधिकारी से बात करा रहे हैं, उनसे प्रार्थना करिए कि आपके केस की जल्दी जांच हो जाए और यह बात किसी और को नहीं पता चलनी चाहिए। वरना एनएसए के तहत आपके खिलाफ कार्रवाई करके आपको जेल भेज देंगे।
तब उसने नितिन पवार नाम के उच्च अधिकारी के बात कराई। उसने पीड़ित से उसकी बैंक संबंधी सभी सूचनाएं पूछी। उसके बाद नितिन पवार ने कहा कि चुपचाप बैंक जाओ मोबाइल बन्द मत करियेगा। बैंक जाकर मेरे बताए गए खाते में छह लाख रुपए तुरन्त आरटीजीएस कर दीजिए। पीड़ित के मुताबिक वो आरोपियों के आदेश का पालन करता रहा। हर घंटे उनको सूचित करता रहा कि वो घर में सुरक्षित है। उसका फोन रात भर चलता रहा।
इंद्रजीत के मुताबिक 20 दिसम्बर को फिर से एसबीआई कस्टमर केयर से फोन आने पर वहीं बातें दोहराई गई और इस बार आईपीएस आकाश कुलहरि का नाम लेकर 18 लाख और 3.20 लाख जमा कराए गए। फिर 21 दिसम्बर को 5.45, 3.30 औऱ 2.70 लाख रुपए बताए गए खातों में जमा करवाए गए।
23 दिसम्बर को सुबह नौ बजे फोन आया कि एक्सिस बैंक में जो पैसा जमा है वह भी भेज दीजिए जो मैंने उनके बताए हुए खाते में भेज दिया। फिर उन्होंने कहा कि आपके पास जो भी सोना हो उसको बेच करके 12 लाख रुपए और जमा कराइए। जिससे आपका केस बन्द हो सके।
पीड़ित के मुताबिक जब आरोपियों ने उनसे म्यूचुअल फंड बेचकर पैसा जमा करने के लिए कहा तब वह आईआईएफएल में कार्यरत अधिकारी के पास पहुंचे और उन्हें आपबीती बताई। अधिकारी ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह सब फ्रॉड है, जिसके बाद पीड़ित ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है।