
संवाददाता
कानपुर। आईजीआरएस पर आई शिकायतों का समय से निस्तारण न कर पाने के कारण कानपुर नगर फिसड्डी साबित हो रहा है। लगातार जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह जनता दरबार लगाकर लोगों की शिकायत सुन रहे है और अधिकारियों को आदेश निर्देश भी दे रहे हैं, लेकिन उसका असर अधिकारियों पर नहीं पड़ रहा हैं।
इसी का नतीजा है कि पिछले माह के मुताबिक इस बार कानपुर 20 पायदान और पीछे चला गया है। यानि अप्रैल में जारी रैकिंग में कानपुर का जहां 41वां स्थान रहा था वहीं मई में जारी रैंकिंग में 61वां स्थान मिला है।
निचले स्तर पर अधिकारियों की लगातार लापरवाही का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ रहा हैं। इसको लेकर जिलाधिकारी भी अब सख्त हो गए है। उन्होंने कहा है कि जो भी अधिकारी इसमें लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इसको लेकर लापरवाह अधिकारियों की सूची भी अब तैयार की जा रही हैं।
अप्रैल माह में कानपुर नगर में 10121 शिकायतें अलग-अलग विभागों में आईजीआरएस के माध्यम से प्राप्त हुई थीं। इनके निस्तारण में कुल 140 में 103 अंक ही जिले को मिले हैं। प्राप्तांक प्रतिशत 73.57 ही रहा। 8276 शिकायतों के फीडबैक लिए गए। इनमें 4759 लोग फीडबैक लेने पर कार्रवाई से असंतुष्ट रहे है। 3517 ने ही कार्रवाई में संतोष जताया हैं। अधिकारियों का मानना है कि नीचे स्तर पर सुनवाई करने में लापरवाही बरती जा रही हैं। प्रथम दृष्टया सामने आया है कि चारों तहसीलों बिल्हौर, सदर, घाटमपुर व नर्वल में नीचे के अधिकारियों ने लचर तरीके से काम किया है।
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने अप्रैल माह में रैंकिंग जारी होने के बाद जिले के 127 अधिकारियों को चिह्नित किया था। इसके बाद उन्होंने सभी को कारण बताओं नोटिस जारी किया था। इसके बाद भी अफसर सुधरने को तैयार नहीं हैं।