January 21, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। पक्षाघात के मरीजों को थेरेपी कराने के लिए अब उन्हें केवल सोचने की जरूरत होगी, जैसे-जैसे वो सोचेंगे और अपना दिमाग चलाएंगे वैसे-वैसे थेरेपी होती रहेगी। ये आधुनिक डिवाइस आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल डिपार्टमेंट ने तैयार की है। इसकी खासियत ये है कि ये डिवाइस मरीजों के दिमाग को पढ़कर काम करेगी।

जितनी जरूरत मरीज को होगी, उतनी ही थेरेपी मशीन से मिलेगी। इस मशीन का नाम ब्रेन कंट्रोल इंटरफेस है। इसकी पायलट स्टडी का काम पूरा हो चुका है। अब ये मशीन फाइनल ट्रायल के लिए तैयार है।
अभी तक जो थेरेपी होती है वो डॉक्टर अपने हिसाब से देते थे। इसमें डॉक्टर को ये अंदाजा नहीं होता है कि मरीज को कितनी थेरेपी दे। बस उसे अंदाज के साथ थेरेपी कराते थे। इस नए सिस्टम को मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष आशीष दत्ता की टीम ने तैयार किया है।
पीएचडी स्टूडेंट सुशांत मौर्या ने बताया कि इसमें एक ईजी कैप है, जिसे इलेक्ट्रो इंसफ्लोग्रीफी कहते हैं। इसके अलावा इसमें ईएमजी है, जिसे इलेक्ट्रो मायो ग्राफी कहते है। इन दो सिस्टम की मदद से इस डिवाइस को तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि ईजी कैप मरीज के सिर पर पहना दी जाती है। इसके बाद कुछ तारों को हाथों की मांसपेशियों में ऊपर से जोड़ा जाता है। मरीज एक्सरसाइज के लिए जैसा जैसा सोचेगा वैसे-वैसे ये मशीन दिमाग की नसों को पढ़कर काम करेगी। यह डिवाइस मरीज के दिमाग को पढ़कर उतना ही काम करेगी, जितना उसको जरूरत होगी।
सुशांत मौर्या ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर काम 2016 में शुरू हुआ था। अब इसमें सफलता मिल चुकी है। इसके कई ट्रायल भी किए गए जो कि काफी सफल रहे हैं। इससे मरीज को अन्य किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।
इस प्रोजेक्ट की पायलट स्टडी पूरी हो चुकी है। केवल लास्ट ट्रायल होना बाकी है। इसके बाद इसे अस्पतालों तक पहुंचाने की शुरूआत की जाएगी। इसकी खासीयत ये भी है कि इसमें मरीज जो सोचेगा और मशीन जैसे-जैसे एक्सरसाइज कराएगी वो सब कुछ सामने स्क्रीन पर मरीज को दिखाई देता रहेगा।