आ स. संवाददाता
कानपुर। नगर में सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) का पर्व शुक्रवार को पूरे श्रद्धा के साथ मनाया गया। माताओं ने दिनभर व्रत रखा और रात में भगवान गणेश, शिव और पार्वती की पूजा की। चंद्रदेव को अर्घ्य देकर माताओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र, सुखी व निरोगी जीवन के लिए गणपति भगवान से वरदान मांगा । महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर संकट हरण गणपति जी का पूजन किया। माना जा रहा है कि सकट चौथ पर इस बार सौभाग्य योग, मघा नक्षत्र योग बना जो व्रतियों के लिए विशेष फलदायी साबित होगा। इस व्रत को तिलकुटा चौथ, तिल चौथ, माघ चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी के नामों से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य रागेश उद्धव शुक्ला के अनुसार सकट पूजन में तिल व गुड़ का विशेष महत्व है। महिलाओं ने तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूट कर कहीं तिलकुट का पहाड़ तो कहीं तिलकुट का बकरा बनाया और उसकी पूजा की। व्रतियों ने पूजन स्थल पर सकट की पावन कथा सुनायी और चन्द्रमा को अर्ध्य देकर व्रत का पारण किया। पूजन के बाद सभी को प्रसाद बांटा गया। नगर में सकट चौथ का त्योहार पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। माताओं ने सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर शुभ मुहूर्त में व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद रात को चंद्रोदय के समय थाली में तिल, गुड़, रामदाना, सिंघाड़ा, गन्ना, अमरूद, शकरकंद, बैंगन रखकर विधिवत पूजन किया। गाय के दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दिया। पुत्रों की दीर्घायु की कामना की इसके बाद ही फलाहार ग्रहण किया।