कानपुर। एक ह्रदय विदारक घटना में रिसर्च स्कालर पीएचडी छात्रा की आत्महत्या करने पर आईआईटी प्रशासन भी कटघरे में आ गया है।
आईआईटी की पीएचडी स्कॉलर प्रगति ने तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। छात्रा के परिजनों ने आईआईटी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। छात्रा के घरवालों का आरोप है कि आईआईटी के लोंगो ने हमें देर से सूचना दी। हमारी बेटी की लाश को लावारिस की तरह घर भेज दिया। किसी ने उसको हाथ तक नहीं लगाया। उसके साथ ऐसा व्यवहार हुआ, जैसे वो संस्थान की छात्रा ही नहीं है।
एसीपी कल्याणपुर ने बताया कि आईआईटी की छात्रा प्रगति के आत्महत्या की जानकारी मिलने के बाद पुलिस और फोरेंसिक टीम जांच करने पहुंची थी। जांच में छात्रा की सहपाठी ने बताया कि वो दो दिन से बहुत तनाव में थी। लेकिन तनाव के कारण उसने नही बताये थे
मृतका के ताऊ गोपालदास ने मांग की है कि मामले की पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। प्रगति ने आत्महत्या क्यों की, कब की, आत्महत्या के बारे में कैसे मालूम पड़ा, एक-एक बिंदु की जाँच होनी चाहिए।हमें आईआईटी की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला। लाश लावारिश की तरह ऐसे भेज दी गई जैसे वह संस्थान की छात्रा ही न हो।
छात्रा के पिता चकेरी सनिगवां के रहने वाले गोविंद गुप्ता ने कहा कि बेटी की आत्महत्या के पीछे हम कुछ समझ नहीं पा रहे है कि आखिर ऐसा क्या हुआ था। वह रोज फोन पर बात करती थी। दो दिन पहले ही वह अपने शोध के सिलसिले को लेकर रुड़की गई थी। आखिर ऐसी कौन सी बात हुई कि उसने आत्महत्या कर ली । उनकी बेटी की आत्महत्या की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि बेटी आत्महत्या कर लेगी।हमारी बेटी हिम्मत हारने वालों में से नहीं थी।
चकेरी के सनिगवां में रहने वाले पिता गोविंद ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं। छोटी बेटी प्रगति आईआईटी कानपुर से अर्थ साइंस में पीएचडी अंतिम वर्ष की छात्रा थी। उनके तीन बेटे भी अच्छी जगह नौकरी में हैं।