December 3, 2024

बेघर हुए लोग  होटलों, रिश्तेदारों के घर रहने पर मजबूर।

कानपुर। नगर में विगत कई वर्षो से मेट्रो का निर्माण चल रहा है। निर्माण कार्य के चलते भूमि धसने से कई भवन प्रभावित हुए है। नगर के  हरबंश मोहाल इलाके में भी मेट्रो का काम कई वर्षो से चल रहा है । यहां अंडरग्राउंड मेट्रो का निर्माण चल रहा है। यहाँ 12 अगस्त को अचानक घरों में दरार आई और दो मकान धंस गए। इसपर खूब हंगामा हुआ। मेट्रो के अधिकारी मौके पर पहुंचे। घर खाली करवाया।मेट्रो अधिकारियो ने आश्वासन दिया कि इन्हे  तोड़कर बनाया जाएगा। जिन घरों में दरार आईं हैं, उनकी भी मरम्मत करवाई जाएगी। जो लोग प्रभावित हुए हैं उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
हरबंश मोहाल में  भवन संख्या 62/75 में  चार मंजिला मकान था। इसमें विनोद सिंह और उनका परिवार रहता था। 4 मंजिला इस मकान के पहले फ्लोर पर विनोद के बेटे शंभू नाथ रहते थे। वह तख्त पर लेटे हुए थे। 12 अगस्त को अचानक तेज आवाज के साथ फर्श 20 फिट धंस गई। शंभू तख्त पकड़कर लटक गए। उन्हें किसी तरह से गड्ढे से बाहर निकाला गया। धमाका इतना तेज था कि बगल वाला मकान भी पूरी तरह से छतिग्रस्त हो गया।
इस हादसे के बाद हंगामा हो गया। मौके पर मेट्रो के अधिकारी पहुंचे और 5 घरों को सील कर दिया गया। इसमें रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। स्थानीय सपा विधायक अमिताभ वाजपेई भी पहुंचे और  हंगामा कर रहे लोगों को समझाया। मेट्रो के अधिकारियों से उचित कार्रवाई करने की बात कही। ऐसा नहीं करने पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाने तक की बात कह दी।
मेट्रो के अधिकारी मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं, यहां 52 फिट नीचे से मेट्रो का टनल गुजरा है। इसका काम ढाई महीने पहले ही पूरा हो चुका है, ऐसे में मेट्रो के चलते यह हादसा हुआ ये कहना ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने हर स्तर पर मदद और घर बनवाकर देने की बात कही।
डेढ़ महीने बीत जाने के  बाद भी उधर का रास्ता बंद पड़ा है। पूरी सड़क खुदी पड़ी है। कई घरों में ताले लगे हुए हैं। जो लोग इसमें रहते थे, वह अब कहीं और रहने लगे हैं। यहीं पास में रहने वाले राकेश कश्यप ने बताया कि मेट्रो के चलते मेरा मकान डैमेज हो गया है। अब 3-4 इंच एक तरफ झुक गया है। मैंने मार्च 2024 में शिकायत की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब 2 मकान मेरे बगल के गिर गए, तब प्रशासन की नींद खुली। अब मेरा घर भी सील किया गया है। करीब दो महीने हो गए है । मेरा धंधा बंद है। मेरे यहां 4-5 लोग काम करते थे, सब बेरोजगार हो गए।
राकेश के मुताबिक उनका घर  मरम्मत से नहीं  ठीक होगा, जब फाउंडेशन ही टूट गया है। घर में लगी ईंटे  चटक गईं हैं। जगह-जगह क्रैक हो गया है। ऊपर-ऊपर से क्रीम पाउडर लगा देने से ठीक नहीं होगा । अगर मेट्रो पैसा न ले, मेट्रो बनाने वाली कंपनी पैसा न ले तो हम भी नहीं लेंगे। पब्लिक का नुकसान करके आप फायदा ले रहे हैं। यह ठीक नहीं है।
राकेश के घर के कमरों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं। कमरों का प्लास्टर गिरा पड़ा हुआ है। ईंटें चकटी हुई नजर आती हैं। वह हमें रिपेयरिंग में इस्तेमाल हो रहे सामान की  क्वालिटी को दिखाते हुए कहते हैं, इनके रेत और सीमेंट की क्वालिटी अच्छी नहीं है। कुछ कहिए तो ये लोग बिगड़ जाते हैं। कई बार तो काम छोड़कर चल देते हैं। इस रिपेयरिंग के बाद अगर भूकम्प आता है तो यह एक झटके में गिर जाएगा। मेरे परिवार के लोग आज होटल में या फिर किसी रिश्तेदार के घर रहने को मजबूर हैं।
हरवंश मोहाल के सुरेश चंद्र वाजपेयी का घर भी प्रभावित हुआ है। वह कहते हैं- मेरा घर नया बना है इसलिए बहुत दिक्कत नहीं आई है, लेकिन कई हिस्सों में दरार है, इसलिए मेट्रो ने खाली करवा लिया है। मरम्मत कर रही है। मेरे सामने जो गली है, उसमें 6 मकान हैं। सभी पुराने हैं, कुछ तो 70-80 साल पुराने। ये सब चूना राखी, ईंट-गारा से बने थे, सब दरक गए हैं। कारण बताते हुए सुरेश चंद्र कहते हैं, मेट्रो के अधिकारियों ने लापरवाही की। कई जगह बगैर ग्राउटिंग के टनल बनाना शुरू किया। सड़क के अंदर ग्राउटिंग के जरिए सैकड़ों बोरी सीमेंट और केमिकल डाला गया। इसका असर यह हुआ कि पानी की लाइन चोक हो गई। अब देखिए पूरी सड़क खोदकर डेढ़ महीने से लाइन ही सही की जा रही है।
रमेश, किशन और विनोद गुप्ता का  घर भी प्रभावित हुआ है। रमेश कहते हैं, अब तक 12 घरों को चिह्नित करके खाली करने का आदेश दिया गया है। इसमें मेरा भी घर शामिल है। जबकि घर में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई है। उनके बगल में मौजूद किशन कहते हैं, हम लोग 13 अगस्त से होटल में हैं, रोज आते हैं और यहां देखकर वापस चले जाते हैं। दुख यह है कि अब सारे त्योहार होटल में मनाने पड़ेंगे। वहां कोई व्यवस्था नहीं होती।
हरबंश मोहाल के नीचे से कानपुर सेंट्रल के लिए  नयागंज होकर जा रही  मेट्रो लाइन निर्माण की जा रही है। जब टनल का निर्माण शुरू हुआ तभी घरों में दिक्कत आ गई थी। राकेश कश्यप कागज दिखाते हुए कहते हैं- फरवरी में हमने इस तरफ ध्यान दिलवाया। अधिकारियों से डायरेक्ट बात की। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जून में मेट्रो की तरफ से निर्माण की बात कही भी गई, लेकिन उसके बाद ध्यान नहीं दिया गया।
इस वक्त प्रभावित परिवारों को प्रति व्यक्ति के हिसाब से 400 रुपए मिल रहे हैं। जो कहीं नहीं गए, उन्हें होटल में रखा गया है। जिनके पास पालतू कुत्ते और बिल्ली हैं, उनसे  इनको कहीं और रखने के बारे में कहा जा रहा है। जो लोग प्रभावित हैं, उन सबका एक ही सवाल है कि हमें वापस अपने घर में कब एंट्री मिलेगी।
कानपुर मेट्रो के प्रोजेक्ट मैनेजर डीके सिन्हा ने बताया कि कब तक निर्माण होगा  यह हम नहीं बता सकते। इस वक्त सड़क के नीचे जो पानी की लाइन है, उसे सुधारा जा रहा है। बारिश के चलते दिक्कत हो रही है। हमारी बड़ी टीम लगी हुई है।

मरम्मत की  क्वालिटी को को लेकर उठाए गए सवाल पर डीके सिन्हा कहते हैं- इस इलाके में जो घर हैं, वह बहुत पुराने बने हैं। जिनमें 2 घर गिर गए है ।ये घर  मेट्रो के चलते गिरे यह कहना बहुत उचित नहीं, क्योंकि काम तो ढाई महीने पहले पूरा हो चुका है। घर अब गिर गया तो उसका निर्माण मेट्रो करवा रही है। लोगों की अपेक्षाए बढ़ गई हैं। उन्हें लगता है कि उनका घर गिराकर फिर से नया  बनाया जाए। लेकिन यह संभव नहीं है। हमारे यहाँ क्वालिटी से कोई समझौता नहीं होता है । जितना सीमेंट और बालू तय है उतना ही प्रयोग हो रहा है। हम खुद लोगों के बीच जाते हैं, 5-5 घंटा रहते हैं और सबकी बातों को सुनते हैं।