
आ स. संवाददाता
कानपुर। एनजीटी की टीम ने गंगाजल और शहर की बस्तियों में पानी की जांच की थी। जिसकी रिपोर्ट में गंगाजल समेत बस्तियों के पानी में क्रोमियम और पारा भी पाया गया। शहर के गोलाघाट, जुही बंभुरिया, राखी मंडी और अफीमकोठी में पानी की जांच में टीम को यह भारी धातुएं मिली हैं।
एनजीटी टीम ने भूमिगत जल की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे इसके दुष्प्रभाव पर गंभीर चिंता व असंतोष जताया है। एनजीटी ने पानी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इसके साथ ही सुधार करने के लिये चेतावनी जारी की है।
एनजीटी ने गंगा के पानी की सेहत को लेकर चिंता जताई थी। कानपुर से फतेहपुर तक के पानी को दूषित बताया था। इसको लेकर एनजीटी ने कोर्ट केस भी दायर किया था। जिसके बाद शहर में अपशिष्ट निपटान और आवासीय और औद्योगिक सीवर के प्रबंधन के तरीकों की जांच के लिये टीम का गठन किया गया था।
गत वर्ष 18 नवंबर को एनजीटी की टीम शहर के अपशिष्ट से दूषित स्थलों का निरीक्षण करने पहुंची थी। नामित विद्वान न्यायमित्र कात्यायनी के नेतृत्व में टीम ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जलनिगम के अधिकारियों के साथ गोलाघाट, जुही बंभूरिया, राखी मंडी, अफीमकोठी के साथ ही जाजमऊ में गंगाजल और भूमिगत पानी के सैंपल लिए थे।
टीम ने जुही बंभूरिया में क्रोमियम के खतरे को देखते हुये प्राइवेट व सरकारी सबमर्सिबल के पानी का नमूना एकत्र किया था। इसके साथ ही क्षेत्रीय पार्षद से क्षेत्र की जनसंख्या और सीवर व पेयजल की संपूर्ण जानकारी भी ली थी। टीम ने बिनगवां और जाजमऊ में एसटीपी के इनलेट और आउटलेट से भी पानी के नमूने लिये थे।यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि एनजीटी की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। बीते दिनों टीमों ने कई स्थानों से सैंपल कलेक्ट किए थे। पानी की जांच के लिए फिर से रिसैंपलिंग कराई जाएगी।
पानी में क्रोमियम की मात्रा ज़्यादा होने से यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। क्रोमियम जहरीली और भारी धातु है। क्रोमियम युक्त पानी के लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है।