December 12, 2024

कानपुर। कानपुर पुलिस ने 10 राज्यों में फैले छात्रों के ठग गैंग का भंडाफोड़ करके गैंग के सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 7 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। ये ठग खुद को पुलिस अफसर या उनका रिश्तेदार बताकर लोगों को फोन करते थे। उन्हें नौकरी का झांसा देते थे। इसके बाद उनसे खातों में रुपए ट्रांसफर करा लेते थे। रुपए मिलते ही फोन स्विच ऑफ कर देते थे।
ठगी की रकम मंगाने के लिए गरीब-मजदूरों के करीब 2000 बैंक अकाउंट किराए पर ले रखा था। पुलिस ने सातों आरोपियों को जेल भेज दिया है, जबकि उनके साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। गैंग का मास्टरमाइंड सदस्यों को खाते खुलवाने पर प्रत्येक खाते के 10-12 हजार रुपए देता था।
डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार हुए आरोपियों में नारामऊ मंधना निवासी मनीष कुमार, आवास विकास-एक कल्याणपुर निवासी दीपेंद्र सिंह गौर, पुराना शिवली रोड कल्याणपुर निवासी सुमित सिंह, अरौल के रौंगाव निवासी रोहित यादव उर्फ युवी, फ्रेंडस कॉलोनी भरथना रोड इटावा निवासी पवन कुमार, कश्यपनगर बम्बा रोड कल्याणपुर निवासी रोहन सिंह सेंगर और कानपुर देहात के रसूलाबाद के जिताई का पुरवा गांव निवासी अभय प्रताप सिंह हैं।
डीसीपी वेस्ट ने बताया कि ठगी की रकम मंगाने के लिए जालसाजों ने झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान समेत 10 राज्यों में करीब 2000 लोगों के बैंक खातों को किराए पर ले रखा था। खाताधारक को दो से तीन हजार रुपए हर बड़ी रकम के ट्रांजेक्शन पर देते थे। आरोपियों में मनीष कुमार बी.बी. ए. का छात्र है, जबकि सुमित सिंह 12वीं पास, पवन कुमार बी.फार्मा का छात्र  है। तीनों के ही पिता सेना की नौकरी कर रहे हैं। अभय बी.एस.सी. कृषि, रोहित यादव बी.बी.ए.छात्र  है और दीपेंद्र गौर 12 वीं पास है। इन तीनों के पिता किसान हैं। रोहन बी. फार्मा की पढ़ाई कर रहा है, इसके पिता रोडवेज में कंडक्टर हैं।
डीसीपी  वेस्ट ने साइबर ठगों के गैंग का खुलासा करते हुए बताया कि  वेस्ट जोन की साइबर टीम ने गैंग के सदस्यों को पकड़ा है। एटूजेड तिराहे से ठगी गैंग की सूचना पर पनकी, बिठूर और कल्याणपुर थाने की संयुक्त फोर्स मौके पर पहुंची और 7 युवकों को दबोच लिया। युवकों की तलाशी में उनके पास से 46 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक टैबलेट, छह आधार कार्ड, 21 चेकबुके, पांच पासबुके और 22 हजार 500 रुपए नकद बरामद हुए। उन्हें गिरफ्तार कर पनकी थाने लाया गया है ।
आरोपी शातिर साइबर ठग हैं। ये लोग पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डराते-धमकाते थे । उन्हें केस में फंसाने की धमकी देकर रुपए ऐंठते थे। कभी वाइस चेंजर एप मोफ्वॉक्स के जरिए आवाज बदलकर अथवा परिचित बनकर सहायता मांगते। नौकरी लगवाने या अन्य प्रलोभन देकर लोगों को अपना शिकार बनाते थे। इसी तरह से अनेकों अलग-अलग तरीके अपनाकर  दिनभर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाते थे।
गरीबों से खाता खुलवाते समय गैंग के सदस्य अपना मोबाइल नंबर देते थे और खाते का इस्तेमाल ठगी की रकम मंगवाने में करते थे। जैसे ही ठगी की रकम आती, गैंग के सदस्य ऑनलाइन रुपए अपने पास ट्रांसफर कर लेते। ये लोग तब तक खाता चलाते थे, जब तक वह पुलिस द्वारा सीज न कर दिया जाएं।
गैंग का सरगना नोएडा निवासी इक्का भाटी उर्फ तनुज है। सुमित और मनीष कुछ साल पहले कानपुर के कल्याणपुर में एक होटल चलाते थे। इसी होटल में रुकने आए गैंग सरगना इक्का से आरोपी शिवम ने दीपेंद्र की मुलाकात कराई। फिर दीपेंद्र ने सुमित और मनीष से संपर्क किया। होटल का काम अच्छा नहीं चलने पर सुमित और मनीष भी दीपेंद्र के कहने पर गैंग में शामिल हो गए। फिर दीपेंद्र ने अपने गांव के अभय को भी साथ जोड़ लिया। इसके बाद खाता खुलवाते समय गैंग के अन्य सदस्यों की मुलाकात रोहित, पवन और रोहन से हुई।
आरोपियों ने बताया कि इक्का उर्फ तनुज ने खुद को गेमिंग ऐप संचालक बताया था। उसने कहा था कि जितने ज्यादा खाते जुड़ेंगे, उतना ही ऐप आगे बढ़ेगा। ऐसे में अगर बैंक खाते खुलवाकर गेमिंग ऐप से लोगों को जोड़ेंगे तो प्रति खाते के लिए 10-12 हजार रुपए मिलेंगे। इस लालच में अन्य लोगों ने इक्का की गैंग जॉइन कर ली। फिर ये लोग बैंक खाते खुलवाने लगे। पूछताछ में आरोपियों ने कहा- हम सिर्फ बैंक खाते खुलवाने के दोषी हैं।