February 7, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर। 
फर्जी वाटर सर्टिफिकेट बनवाने का मामला सामने आया है। नगर निगम नियमावली के मुताबिक स्कूलों, रेस्टोरेंट और सभी कॉमर्शियल एक्टिविटी करने वाले संस्थानों को वाटर सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। ऐसे में कानपुर में कुछ स्कूलों ने फर्जी वाटर सर्टिफिकेट बनवा लिए या फर्जी तरीके से सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अमित सिंह ने मामले की  जानकारी देते हुए बताया कि संज्ञान में फर्जी सर्टिफिकेट का मामला आया है, 2 स्कूलों को जारी किया गया वाटर सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया है। इस मामले में स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
डा. अमित सिंह ने बताया कि द जैन इंटरनेशनल स्कूल, मैनावती मार्ग की प्रधानाचार्या को नोटिस के साथ पत्र भेजा गया है, जिसमें जवाब मांगा गया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपके द्वारा शुद्ध पेयजल स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया गया है जो उनके कार्यालय को प्राप्त है। स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से फर्जी जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि इसी आधार पर रिपोर्ट जारी कर दी जाए। लेकिन जांच में वह सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया।उसमें सिग्नेचर भी फर्जी पाए गए। ऐसे में स्कूल को नोटिस जारी किया गया था। 

नगर निगम की जल प्रयोगशाला में तैनात अल्का सिंह ने भी सर्टिफिकेट पर अपने सिग्नेचर होने से इंकार किया है।
नगर निगम सदन से पास होने के बाद टेस्टिंग सर्टिफिकेट जारी करने का कार्य जलकल को सौंप दिया गया है। नगर निगम में पानी की टेस्टिंग भी बंद कर दी गई है। सदन से पास होने के बाद नगर निगम सदन ने वाटर सर्टिफिकेट बनवाना अब अनिवार्य कर दिया है।
सर्टिफिकेट लेने के लिए जल परीक्षण रिपोर्ट के लिए 100 रुपए का आवेदन फॉर्म मिलता है। पानी का सैंपल या तो जलकल में दे सकते हैं, नहीं तो सैंपल कलेक्ट करने के लिए 500 रुपए फीस अलग से देनी होती है।जल परीक्षण के लिए कुल 4500 रुपए शुल्क अदा करना होगा। 

जिस भी संस्थान और फैक्ट्री में 20 से ज्यादा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं उसे वाटर सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है।