January 18, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। कानपुर मेडिकल कालेज से सम्बद्ध हैलट अस्पताल में अग्निशमन के लिए लगाए जाने वाले यन्त्रों  के रखरखाव में लापरवाही के चलते वहां पर भर्ती मरीजों और उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों और तीमारदारों की जान भी खतरे में है, लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन आंख बन्द कर बैठा हादसों का इन्तजार करता नजर आ रहा है। 

जनसूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक हैलट अस्पताल के अग्निशमन अधिष्ठापनों का निरीक्षण करके निरीक्षण रिपोर्ट दी गयी है, जिसमें इंगित कमियों को दूर कराने का कार्य करने के आदेश विभाग की ओर से जारी किए गए हैं, परन्तु  मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी प्रकार का कार्य शुरु नही किया जा सका है। किसी भी हादसे का सबसे अनिवार्य सबक यह होना चाहिए कि ऐसे इंतजाम किए जाएं, कि भविष्य में फिर उस तरह के हालात उत्पन्न होने से बचा जा सके। मगर ऐसा लगता है कि सरकारों ने एक तरह से यह रिवायत बना ली है कि किसी हादसे में जब तक कई लोगों की जान न चली जाए और वह मुद्दा तूल न पकड़ ले, तब तक उसकी नींद नहीं खुलती। 

उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में घटित हादसे के बाद जिसमें लगभग 10 बच्चों की जलकर मौत हो गयी थी, उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग हैलट अस्पताल में अग्निशमन यन्त्रों को सुचारु रूप से चलाने को लेकर अभी तक गहरी नींद में सोया नजर आ रहा है। अग्निशमन विभाग की लापरवाही के चलते यह एक तरह से अगले हादसे का इंतजार करने से ज्यादा नहीं है। अगर अस्पतालों में सभी व्यवस्थाए चुस्त दुरुस्त रहे तो किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सकता है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ ही उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों के बचाव के सभी इंतजाम करने की जिम्मेदारी किसकी है? केवल सब कुछ ठीक होने के दावे से ऐसी आपराधिक लापरवाहियों को ढका नहीं जा सकता। सवाल है कि ऐसे हादसे सरकार के लिए कब ऐसा सबक बनेंगे, जब वह इनसे बचाव या ऐसा न होने देने के लिए ठोस और मुकम्मल इंतजाम करेगी।

नगर के एक जनसूचना कार्यकर्ता ने जब शासन के अग्निशमन विभाग के सहायक निदेशक से हैलट अस्पताल की जानकारी मांगी तो जवाब में उन्हे अग्निशमन यन्त्रों के अधिष्ठापनों का निरीक्षण कर कार्य को शुरु करवाने के निर्देश की बात कही गई, हालांकि अभी तक किसी प्रकार कार्य शुरु नही किया गया है।