October 5, 2024

कानपुर। सीधी विधि से गेहूं बुवाई में किसान भाइयों को अधिक लाभ होता है जिसमें श्रम एवं धन दोनों बचत होती है। यह बात बुधवार को कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोन 3 कानपुर द्वारा कृषि विश्वविद्यालय मेरठ में हो रही तीन दिवसीय क्षेत्रीय वार्षिक कार्यशाला के दूसरे दिन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईसीएआर नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉक्टर पी दास ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गेहूं फसल की सीधी बुवाई एवं शून्य जुताई विधि से बुवाई के अध्ययन के लाभकारी परिणाम आए है। बुवाई पर अपना शोध प्रस्तुत किया। सीएसए के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील ने बताया कि इस मौके पर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सुधीर कुमार शुक्ला ने उत्तर प्रदेश में गन्ना आधारित कृषि विविधीकरण विषय पर अपना अनुभव एवं शोध पत्र प्रस्तुत किया। शेर ए कश्मीर  कृषि विश्वविद्यालय जम्मू के पूर्व कुलपति डॉ जेपी शर्मा ने कृषि में लाभकारी व्यवसाय हेतु स्टार्टअप के अवसरों का प्रत्यारोपण विषय पर अपना व्याख्यान दिया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के डॉक्टर डी एस पिलानिया ने पीपीवीएफआरए के तहत किसानों की किस्मों का पंजीकरण विषय पर विस्तार से जानकारी दी। सीमिट के डॉक्टर आरके मलिक ने बड़ी मात्रा में कृषि डाटा का विश्लेषण  विषय पर बताया। पूर्व सहायक महानिदेशक कृषि प्रसार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के डॉक्टर रणधीर सिंह ने भी व्याख्यान दिया। पूर्व उपमहानिदेशक कृषि प्रसार डॉक्टर के डी कोकाटे ने इस अवसर पर अपना अनुभव साझा किया।जबकि प्रदेश के चारों कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक प्रसार ने अपनी प्रगति आख्या प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2023 _24 प्रगति व्याख्या एवं वर्ष 2024—25 की कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर निदेशक प्रसार डॉक्टर पीके सिंह, डॉक्टर एनके बाजपेई, अटारी कानपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर राघवेंद्र सिंह,डॉक्टर सीमा यादव सहित प्रदेश के पद्मश्री से सम्मानित कई किसानों ने प्रतिभाग किया।