कानपुर। नगर के राजकीय इंटर कालेज मैदान पर कानपुर जोन की एथलेटिक्स प्रतियोगिता आयोजित करी गई। जिसके आयोजको ने कोई भी इंतजाम ठीक से संचालित न करके केवल सरकारी खानापुरी भर कर दी। जिसका खामियाजा प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियो को उठाना पड़ा।
बदइंतजामी की इंतहा यह थी की न बच्चों की चिंता, न मेडिकल सुविधा, बस प्रतियोगिता जल्द से जल्द पूरा कराने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी को सीमेंटेड मैदान में दौड़ा दिया गया। दौड़ में किसी प्रतिभागी एथलीट के पैर में चोट लगी तो किसी का अंगूठा तक फट गया। प्रतिभागी खुद ही अपना इलाज करते रहें और दर्द के कराहते दिखाई दिए।
प्रतिभागियों को जख्मी हालत में देखकर भी जिम्मेदार अधिकारियों ने लापरवाही दिखाई। प्रतिभागियो ने मेडिकल सुविधा न होने के कारण खुद ही बैंडेज लगाकर अपना उपचार कर लिया। प्रतियोगिता के आयोजक खिलाड़ियों को प्राथमिक उपचार देने के स्थान पर पूरे घटना क्रम से अंजान बने रहे।
प्रतियोगिता के सचिव ने सफाई देते हुए बताया कि जीआईसी मैदान में कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री का कार्यक्रम हुआ था।इसी वजह से मैदान काफी खराब हो गया था। प्रतियोगिता के लिए मैदान को काफी अच्छा करा दिया गया है। किसी को घायल होने कि कोई बात संज्ञान में नहीं आई है।
जीआईसी मैदान में वार्षिक जनपदीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए सैकड़ो खिलाड़ी आए थे। आयोजको ने मैदान की न तो घास की कटाई कराई और न ही उसे समतल कराया।
प्रतियोगिता स्थल बनाये गए जीआईसी मैदान पूरा उबड़ खाबड़ था । सरकारी खानापुरी करने में आयोजको द्वारा खिलाड़ियों के स्वास्थ्य के साथ इतनी बड़ी लापरवाही बरती गई।
इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए विभिन्न जोन के खिलाड़ी आए थे।गोविंद नगर, नर्वल, हरजेंद्र नगर, घाटमपुर, बिल्हौर, पनकी, बीएनएसडी चुन्नीगंज जोन, बिठूर, फूलबाग, जोन के सैकड़ो खिलाड़ी शामिल हुए थे। इस एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अंडर-14, अंडर-17 व अंडर-19 के बालक वर्ग और बालिक वर्ग में इवेंट होने थे, मैदान का बुरा हाल देखने के बाद खिलाड़ी प्रतिभाग करने की हिम्मत तक नहीं दिखा सके।
जीआईसी मैदान भवन निर्माण सामग्री के गोदाम में तब्दील हों चुका है। मैदान में कही पर बालू बिखरी पड़ी थी तो कही पर मौरंग बिखरी थी। पूरा मैदान असमतल था उसका कोई भी हिस्सा एक बराबर तो कही से दिख ही नहीं रहा था।सफाई न होने की वजह से ईट के टुकड़े तक मैदान में पड़े थे। प्रतियोगियों की दौड़ के लिए जो ट्रैक बनाया गया था उसमें जगह-जगह गड्ढे और बड़ी-बड़ी घास उगी थी।
कई खिलाडी इस दुर्दशा का शिकार हुए। चुन्नीगंज, नर्वल और बिठूर जोन से आने वाले खिलाड़ियों के पैर में ईंट लगने के कारण उनके अंगूठे से खून आ गया। घायल होने के कारण वह दूसरी दौड़ में शामिल ही नहीं हो पाए। इन प्रतिभागियों को मैदान में प्राथमिक उपचार तक नहीं दिया गया।हार कर घायल हुए प्रतियोगियों ने खुद ही बैंडेड लगाकर अपना उपचार कर लिया।
यह पूरा आयोजन सरकारी सिस्टम की खानापुरी मात्र ही बनकर रह गया था। इतना बड़ा आयोजन करने के लिए कोई ठीक योजना ही नहीं बनाई गई थी, केवल किसी तरह से कार्यक्रम निपटा दिया गया।