May 23, 2025

संवाददाता 
कानपुर। 
शहर के अंदर बढ़ता गाड़ियों का धुआं और धूल का गुबार हर साल अस्थमा के मरीजों में वृद्धि कर रहा हैं। महज 15 से 20 प्रतिशत लोगों में ही ये जैनेटिक होती है, बाकि सभी लोगों को प्रदूषण और स्मोकिंग के कारण इसका शिकार होना पड़ता है।

हर साल की तरह इस साल भी विश्व अस्थमा दिवस 6 मई को मनाया जा रहा है। टीबी व चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि आज से 20 साल पहले जब एक शोध किया था तो उस समय एक से डेढ़ साल के बीच मात्र 40 अस्थमा के मरीज मिले थे। अगर आज के बीत करें तो हर ओपीडी में 4 से 5 मरीज अस्थमा के जरूर आते हैं।
उन्होंने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में करीब 10 प्रतिशत मरीज तो धूल धुआं से प्रभावित होने के कारण अस्थमा की शिकायत लेकर आते हैं। यदि ये मरीज थोड़ी सावधानी बरतते है और समय पर अपना इलाज शुरू कर देते हैं तो समस्या खत्म भी हो जाती हैं।
डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि हर साल ओपीडी में आने वाले अस्थमा मरीजों में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलती हैं। जैसे-जैसे शहर में धूल और प्रदूषण बढ़ता है वैसे-वैसे मरीजों में भी बढ़ोतरी होती हैं।
इन दिनों शहर में मेट्रो बनने के कारण जगह-जगह खुदा पड़ा है। इसका भी काफी बुरा प्रभाव मरीजों पर पड़ता है। यदि बिना मास्क के वहां से रोज निकल रहे हैं तो फिर आपको दिक्कत बढ़ सकती हैं।
अस्थमा मरीजों में शुरूआती कुछ लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे की छींक आना, नाक से पानी आना, सांस बंद हो जाना, ये सब लक्षण सुबह के समय अस्थमा के मरीजों में अधिक देखने को मिलते है।
इससे बचाव के लिए घर से बाहर निकले, तो मुंह में मास्क लगाकर निकले। सांस फूलने पर डॉक्टर की परामर्श ले।
मौसमी फलों में विटामिन सी वाले फलों का सेवन अधिक करें। जिनको अस्थमा के लक्षण लगातार बने रहते है उनको इनहेलर लेते रहना चाहिए, उसे बंद न करें।

गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा एक टाइम जरूर करें।परफ्यूम को ज्यादा मात्रा में प्रयोग न करें।खाने में हरी सब्जियों का सेवन जरूर करें।प्रोटीन डाइट ले।धूल और धुआं वाली जगहों से दूर रहें।