संवाददाता।
कानपुर। नगर के अरौल के स्कूली वैन हादसे में पुलिस ने गैरजिम्मेदार वैन चालक और सोनेलाल पटेल एजूकेशन सेंटर के प्रबंधक व प्रिंसिपल समेत पांच लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। इसके साथ ही तीनों ड्राइवरों को अरेस्ट भी कर लिया है। जबकि जांच के बाद स्कूल मैनेजमेंट के नामजद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हादसे के बाद से मृतक और घायल छात्रों के परिवारीजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। डीसीपी वेस्ट विजय ढुल ने बताया कि हादसे में मृतक छात्र यश के पिता आलोक कुमार तिवारी की तहरीर पर ओमनी वैन चालक हरिओम कटियार, लोडर चालक ऋषि कटियार और ट्रक चालक सरफराज के साथ ही स्कूल प्रबंधक और प्रिंसिपल के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि स्कूल वैन चालक बगैर ड्राइविंग लाइसेंस के ही बच्चों से भरी वैन को लेकर फर्राटा भर रहा था। वैन में 9 नहीं, 11 बच्चे थे लेकिन दो बाल-बाल बच गए थे। पुलिस ने लापरवाही करने वाले वैन, लोडर और ट्रक ड्राइवर को आरोपी बनाया है। डीसीपी वेस्ट ने बताया कि बच्चों से भरी वैन में लोडर ने पीछे से टक्कर मारी थी। इसके बाद तेज रफ्तार ट्रक ने वैन को उड़ा दिया था। ट्रक और वैन दोनों ही 100 किमी./ प्रति घंटा की रफ्तार से थे। तीनों की लापरवाही के चलते हादसा हुआ है। इसके चलते तीनों की गाड़ियां सीज करने के साथ ही मौके से तीनों को हिरासत में लिया गया था। शनिवार को तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएगा। इन धाराओ में एफआईआर दर्ज की गई है। आईपीसी की धारा 279 सार्वजनिक जगह पर जानकर या असावधानी से असुरक्षित वाहन चलाकर दूसरों का जीवन खतरे में डालना या घायल करने के कृत्य इस धारा में आते है। आईपीसी की धारा 337 भारतीय दंड संहिता की धारा 337 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षा पूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा हो, चोट पहुंचती हो। आईपीसी की धारा 338 इस धारा के मुताबिक जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुंचाना कारित करता है। भारतीय दंड संहिता में धारा 304 का अपराध एक बहुत ही संगीन और गैर जमानती अपराध माना जाता है, जिसमें कठोर कारावास की सजा सुनाई जाती है, जिसकी समय सीमा को 10 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और केवल यह ही नहीं इस धारा में आरोपी को आर्थिक दंड से दण्डित भी किया जा सकता है, जिसे न्यायालय अपने विवेक से निश्चित करती है।