संवाददाता।
कानपुर। नगर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर से क्यूबा ने अब अपने यहां चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की अपेक्षा की है। एनएसआई संस्थान के निदेशक नरेंद्र मोहन ने भी सहयोग देने की बात कही है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर और क्यूबा के रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन शुगर डेरिवेटिव्स संस्थान ला हबाना, क्यूबा के बीच वर्चुअल प्लेटफार्म पर, इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए। बात करें 1980 के दशक तक की तो लगभग 8 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन करने वाला क्यूबा, अब अपनी घरेलू आवश्यकता 5 लाख मीट्रिक टन से भी कम वार्षिक उत्पादन के साथ गंभीर संकट में है। इस संकट से उबरने के लिए क्यूबा ने एनएसआई का हाथ थामने की सोची है। पश्चिमी देशों द्वारा देश पर लगाए गए प्रतिबंधों और 1991 में सोवियत संघ के पतन से मुख्य खरीदार खत्म हो चुके है। इसके कारण क्यूबा की अर्थव्यवस्था और चीनी उद्योग दिन पर दिन गिरता जा रहा है। क्यूबा रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन शुगरकेन डेरिवेटिव्स महानिदेशक मारिएला गैलार्डो कैपोट ने कहा कि देश में 1980 के दशक में 150 चीनी मिलें थी। उस समय चीनी का काम भी बहुत तेजी से चलता था। सरकार द्वारा किए गए पुनर्गठन के बाद हमारे पास अब केवल 56 मिलें हैं। उनमें से भी केवल 25 मिलें उत्पादन में योगदान दे रही हैं। बाकि की हालत ठीक नहीं हैं। उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेत से लेकर मिलों तक हर जगह सुधार की आवश्यकता है, लेकिन वो इतनी जल्दी संभव नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश मिलों में चीनी उत्पादन की तकनीक बहुत पुरानी है और हम प्रक्रिया में बदलाव, कुशल संयंत्र व मशीनरी स्थापित करके और ऊर्जा संरक्षण उपायों को अपनाकर संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर से सहायता चाहते हैं। चीनी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास अब किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा कि समझौता ज्ञापन में, हमने काम करने के लिए इन सभी क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया है। हमारा ध्यान सबसे पहले चीनी प्रोसेसिंग के आवश्यक आधुनिक तकनीकी ज्ञान के साथ सक्षम जनशक्ति विकसित करके, क्यूबा के चीनी उद्योग को तकनीकी सहायता प्रदान करने पर है। जिसके लिए हम विशेष व्याख्यान और छोटी अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके शुरुआत करेंगे। ताकि बेसिक चीजों को पहले वहां के लोग अच्छे से जान लें।