संवाददाता।
अयोध्या। अयोध्या का स्वरूप ही बदल गया है। पांच सौ वर्षों की लड़ाई के बाद देखने से ऐसा लगता है कि अयोध्या में सचमुच श्रीराम आजकल में विराजेंगे। वाकई अयोध्या का राम आगमन के पूर्व स्वरूप ऐसा बदल गया है कि हर आदमी एक ही मंत्र का जाप कर रहा है- राम काज करिबे को आतुर…। यहां के कण-कण और लोगों के मन-मष्तिष्क में प्रभु श्रीराम बस गए हैं। मंदिर निर्माण ट्रस्ट समिति के सदस्य अनिल मिश्रा बताते हैं कि मंदिर और चबूतरा निर्माण का कार्य साथ-साथ किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से श्रमिकों ने प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी को लेकर अपने प्राणों की बाजी लगा दी है। सीढ़ी का कार्य लगभग पूरा हो गया है। सीढ़ी के स्लोप को तैयार किया जा रहा है। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष निपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मूर्ति का चयन कर लिया गया है। 16 या 17 जनवरी से मंदिर के गर्भगृह में पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी। भगवान श्रीराम के लिए स्वर्ण सिंहासन वहां लगाया जा रहा है। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में चर्चा है कि प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण श्यामवर्ण के थे। उनके चेहरे पर अलौकिक चमक थी। यहां जो प्रतिमा स्थापित होगी, वह भगवान राम के बालरूप की होगी। प्राण- प्रतिष्ठा के बाद उनके आंखों की पट्टी खोली जाएगी तो श्रद्धालुओं को देखने में लगेगा कि प्रतिमा सचमुच जीवंत हो उठी है।आगामी 16 एवं 17 जनवरी से ही देश के जाने-माने धर्म शास्त्रियों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। सिंहद्वार से लोगों का प्रवेश होगा। अवध की शैली में यहां नृत्य मंडप भी बनाया गया है। दर्शकों को लगेगा कि सचमुच श्रीराम आज अयोध्या में विराज रहे हैं। साधु- संतों के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ सहित अन्य अधिकारी भी पल-पल के विकास कार्यों का जायजा ले रहे हैं। इस बीच मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बताया है कि प्राण- प्रतिष्ठा के दिन प्रधानमंत्री का संबोधन भी होगा। इन सूचना के बाद राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई है। अयोध्या में हर कोने पर राम भक्ति की धारा बह रही है। दूर-दूर से लोगों का पहुंचना भी शुरू हो गया है।