November 22, 2024

 

योगोत्सव पखवाड़े के अन्तर्गत प्रारंभ हुई ’’रोग आधारित योग’’ कार्यशाला 

कानपुर। दसवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व गुरुवार से ‘योगोत्सव पखवाड़े‘ की शुरुआत हो गयी जिसमें योगाचार्यों ने योग को रोग की सबसे बडी दवा बताने में गुरेज नही किया। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक के मार्गदर्शन में ’’रोग आधारित योग’’ कार्यशाला का शुभारंभ एसजे एजुकेशन सेंटर, हंसपुरम, नौबस्ता में किया गया। कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुये सहायक आचार्य, योग डॉ0 रामकिशोर ने कहा कि योग की दृष्टि में सम्पूर्ण रोगों को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रथम आधि और द्वितीय का नाम है व्याधि है। आधि के अन्तर्गत समस्त मानसिक रोग आते हैं और शरीर द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग व्याधि कहलाते हैं। जब किसी भी रोग का प्रारंभिक स्तर पर निदान नहीं हो पाता तो आधि से व्याधि और व्याधि से आदि उत्पन्न होकर दोनों एक दूसरे को पोषित करने लगते हैं। ’मधुमेह रोग के लिए योग’ पर उन्होंने कहा अब तक हुए रिसर्च के अनुसार मंडूकासन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, भुजंगासन और धनुरासन मधुमेह रोग के नियंत्रण में सर्वाधिक उपयोगी पाए गए हैं। परंतु ध्यान रहे भुजंगासन और धनुरासन का अभ्यास हृदय तथा हर्निया के रोगियों को कदापि नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के लिए अनुलोम विलोम, चंद्रभेदी, शीतली, सीत्कारी और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने कहा प्राणायाम के अभ्यास में नासिकाओं को बंद करने के लिए सदैव अंगुष्ठ और अनामिका का प्रयोग करना चाहिए। मध्यमा और तर्जनी उंगली का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए। अनुलोम विलोम प्राणायाम के वैज्ञानिक प्रभाव को बताते हुए कहा कि इस प्राणायाम से हमारे शरीर का अनुकंपी और परानुकंपी तंत्रिका तंत्र संतुलित होता है, जिसके प्रभाव से उच्च और को निम्न दोनों रक्तचाप संतुलित होकर सामान्य अवस्था में स्थिर होने लगते हैं। इस मौके पर डा0 प्रवीन कटियार पुनीत कुमार कटियार देवेश अवस्थी सेंटर के शिक्षक, शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक आदि मौजूद रहे।

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