कानपुर। भीषण गर्मी के बाद अब मानसून सक्रिय हो गया है और बारिश से मौसम का मिजाज बदलने वाला है। ऐसे में वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा बढ़ने की संभावना है। इससे डायरिया एंव डेंगू का प्रकोप बढ़ेगा और लोगों में उल्टी, वजन कम होना, बुखार और खाने की इच्छा न होने के जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इसलिए बचाव के लिए लोगों को चाहिये कि अपने आसपास पानी न जमा होने दें और पीड़ित होने पर फौरन चिकित्सक से संपर्क करें। यह बातें रविवार को चौबेपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डा. यशोवर्धन सिंह ने कही।
उन्होंने बताया कि बच्चों को यदि दस्त संक्रमण के कारण होता है तो बच्चे में मतली, उल्टी, वजन कम होना, बुखार और खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। कई बार जानकारी के अभाव में यह जानलेवा भी हो सकती है। खासकर बारिश के मौसम में इसके लक्षणों को नजरअंदान न करें, क्योंकि बारिश में वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है। इसलिए बारिश के मौसम में आसपास पानी न जमा होने दें। यहां तक कूलर, प्रयोग में न आने वाले बर्तन जो फेक दिये जाते हैं उनको भी उल्टा दें ताकि पानी उसमें जमा न हो सके। इसी प्रकार अन्य अनुप्रयोग सामान जहां भी पड़ा हो यह ध्यान जरुर दें कि उसमें बारिश का पानी न रुकने पाए, क्योंकि डायरिया रोग दूषित भोजन और पानी से अधिक होता है तो वहीं जमा हुए पानी से डेंगू पनपता है। बारिश के मौसम में रोगाणु अधिक आसानी और तेजी से बढ़ते हैं, इसका एक कारण रोटा वायरस भी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग एक जुलाई से 31 जुलाई तक डायरिया की रोकथाम के लिए अभियान चलाएगा और संक्रमण विभाग भी डेंगू से बचाव के लिए अभियान चलाएगा। इसके बावजूद लोगों को जागरुक होना बहुत जरुरी है ताकि बारिश के मौसम में डायरिया एवं डेंगू से बचाव किया जा सके। अभियान के तहत मलिन बस्ती, दूर दराज के क्षेत्र, खानाबदोश, मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे आदि पर रहने वाले परिवार पर खास ध्यान दिया जाएगा।
डा. यशोवर्धन सिंह ने बताया कि डेंगू संक्रमण एडीज एजिप्टि मच्छर के कारण फैलता है जो जमा हुए पानी पर जन्म लेता है। डेंगू बुखार सामान्य स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है जिसके लिए नियमित स्वास्थ्य जांच भी महत्वपूर्ण होती है। डेंगू बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। हालांकि यह गर्भवती महिला से उसके अजन्मे बच्चे तक पहुंच सकता है। संक्रमित मच्छर के काटे जाने के चार से दस दिन बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देते हैं। इससे तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना, आंखों में दर्द होना व विभिन्न अंगों में सूजन आदि होता है। ऐसे में डेंगू से खुद को सुरक्षित रखने का प्राथमिक तरीका मच्छर के काटने से दूरी बनाए रखना और टीकाकरण है। वहीं डेंगू फैलाने वाले मच्छर रुके हुए पानी में पनपते हैं। इससे बचने के लिए टायर, प्लास्टिक कवर, फूल के बर्तन, पालतू जानवरों के पानी के कटोरे आदि जैसी चीजों को ढकें। इसके अलावा मच्छरदानी के प्रयोग से परहेज न करें।