संवाददाता।
कानपुर। नगर मे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने लेप्रोस्कोप विधि से सिंड्रोम पीड़िता का ऑपरेशन कर जान बचाई है। ऐसा ऑपरेशन पहली बार कानपुर मेडिकल कॉलेज में किया गया । कॉलेज के प्राचार्य ने एंडोक्रोनोलॉजिस्ट, कैंसर रोग विशेषज्ञ व गैस्ट्रो सर्जन की मदद से इस गंभीर बीमारी का पता लगाया और फिर सफल ऑपरेशन किया । कुशिंग सिड्रोम का सीटी स्कैन कर बीमारी को पकड़ा था। प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि जीएसवीएम मेडिक कॉलेज में कुशिंग सिड्रोम का यह पहला ऑपरेशन हुआ । अभी तक मरीजों को इसके इलाज के लिए लखनऊ व दिल्ली रुख करना पड़ता था। कानपुर निवासी 28 वर्षीय युवती करीब एक साल से वजन बढ़ने, शरीर में कमजोरी, उठने-बैठने में परेशानियों का सामना कर रही थी। शरीर में बैंगनी रंग के चक्कते पड़ने, महावारी की समस्या, शुगर भी काफी तेजी से बढ़ने लगा था। पीड़िता ने इसको लेकर काफी इलाज कराया मगर सफलता नहीं मिला। अप्रैल माह में युवती जीएसवीएम पीजीआई के एंडोक्रोनोलॉजी विभाग की ओपीडी में परामर्श लेने पहुंची। यहां पर एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने लक्षण के आधार पर युवती की कुछ जांच कराई और साथ ही एमआरआई भी कराया। एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि जांच में एसीटीएच शून्य था, पोटेशियम भी कम था और कार्टिसोल बढ़ा हुआ था। इसके बाद युवती के ब्रेन का एमआरआई कराया गया, लेकिन स्पष्ट कारण नहीं पता चल सका कि ऐंड्रिनियल ग्रांथि किस वजह से बढ़ रही है। सटीक जानकारी के लिए पेट का सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें दाएं तरफ किडनी के ऊपर गांठ मिली, जो दो सेंटीमीटर की थी। डॉ.शिवेंद्र ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला को कुशिंग सिंड्रोम के जानकारी देने के साथ पेट में गांठ मिलने की जानकारी दी। प्राचार्य डॉ. संजय काला के साथ, डॉ.शिवेंद्र वर्मा, कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.कुश पाठक, गैस्ट्रो सर्जन डॉ.आरके जौहरी और डॉ.अनुराग ने इसका सफल ऑपरेशन किया। प्राचार्य ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने 8 मई को युवती का लेप्रोस्कोप विधि से ऑपरेशन किया, जो करीब डेढ़ घंटे तक चला। ऑपरेशन के बाद युवती अब बिल्कुल स्वस्थ है। प्राचार्य प्रो.संजय काला ने बताया कि कुशिंग सिंड्रोम बीमारी एक लाख में किसी एक व्यक्ति को होती है। ऐसा ऑपरेशन डॉक्टरों के लिए किसी चुनौतियों से कम नहीं होता है। एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि यह एक हार्मोनल विकार है, जो कोर्टिसोल के अधिक उत्पादन से जुड़ा है। कोर्टिसोल शरीर की ओर से उत्पादित एक हार्मोन है, जो तनाव से लड़ने के लिए एक ग्रंथि का निर्माण करता है। धीरे-धीरे यह पीट्यूटेरी ग्लैंड में जमा होता है और वह बीमारी का कारण बनता है।