संवाददाता।
कानपुर। नगर में हैलट अस्पताल के डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा सामने आया है। हाथ पैरों से लाचार मरीज को न तो वार्ड बॉय ने हाथ लगाना उचित समझा और न ही उसे स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गया, जिसके चलते एक बेटा अपने 70 वर्षीय पिता को गोद में लेकर जांच के लिए इधर-उधर भागता रहा। कानपुर के हैलट अस्पताल में मरीज को देखने के बाद डॉक्टरों ने उसे जांच के लिए भेज दिया। मरीज की हालत काफी खराब होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन की तरफ से खूब लापरवाही बरती गई। यह प्रकरण तब हुआ जब स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा खुद मेडिकल कॉलेज में मौजूद थे। प्रमुख सचिव के आने की खबर मिलते ही पूरा अस्पताल प्रशासन अलर्ट मोड पर कर दिया गया था। इसके बावजूद हैलट के डॉक्टरों ने लापरवाही दिखाई। डॉक्टर ने मरीज को देखा और तुरंत जांच के लिए लिख दिया। इसके अलावा न तो मरीज को उठाने के लिए वहां कोई वार्ड बॉय आया न ही मरीज के लिए किसी ने स्ट्रेचर उपलब्ध कराना उचित समझा। काफी देर तक स्ट्रेचर की तलाश करने के बाद भी जब तीमारदारों को स्ट्रेचर नहीं मिला तो बेटे ने अपने 70 वर्षीय पिता को गोद में उठाया और भीषण गर्मी, तेज धूप का सामना करते हुए करीब 250 से 300 मीटर का सफर तय करते हुए कानपुर मेडिकल कॉलेज पहुंच गया। शुक्लागंज निवासी श्याम सुंदर (70 वर्ष) के घुटने में काफी दर्द था। बेटे अरविंद ने बताया कि पिता को एक माह पूर्व घर के पास से ही एक डॉक्टर से दवा दिलवाई थी। इसके बाद से उनकी तबियत बिगड़ गई। धीरे-धीरे हालत खराब होती चली गई। पिछले 15 दिनों से पिता ने खाना पीना भी छोड़ दिया था। हाथ-पैर भी काम नहीं कर रहे है। अरविंद ने बताया कि बीते रविवार को पिता को लेकर हैलट अस्पताल आए थे, लेकिन उस दिन डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया था। मंगलवार सुबह पिता को लेकर डॉ. हरेंद्र कुमार की ओपीडी में दिखाने के लिए आए थे। पिता काफी गंभीर स्थिति में थे, इसके बाद भी उन्हें घंटों लाइन में लगाया गया। इसके बाद उन्हें देखा गया। डॉक्टर ने देखने के बाद एचआईवी जांच कराने को कहा था। इसके बाद पिता को गोद में लेकर जांच के लिए इधर-उधर पूछते-पूछते मेडिकल कॉलेज तक पहुंचे। यहां पर जांच लैब के पास ही पार्थ सारथी सेन शर्मा भी मौजूद थे।