कानपुर। यूपीसीए की चयन समिति पर एक बार फिर से सुपर चयनकर्ता भारी पड़ गए हैं।उत्तराखंड में हर साल होने वाले टूर्नामेंट के लिए टीम का चयन किया गया। प्रदेश क्रिकेट टीम का चयन समिति ने नहीं बल्कि सुपर चयनकर्ता ने अपने दम पर चुनने का साहस दिखाया। यही नहीं सुपर चयनकर्ता ने अपने दम पर ही देश की सबसे बड़ी अकादमी (एनसीए) में भी 3 जूनियर और 3 सीनियर क्रिकेटरों को भेजा दिया जिसमें उनका बेटा भी शामिल है। संघ में होने वाले सभी प्रकार के निर्णयों पर अंतिम मुहर सहारनपुर से सम्बन्ध रखने वाले की ही लगती है। किसी कारणवश अब यह केवल सहारनपुर तक ही सीमित हो गया है। सहारनपुर में बैठे सुपर चयनकर्ता ने मेरठ के पूर्व सचिव को बदनाम करने के लिए 6 क्रिकेटरों समेत सहारनपुर के 3 और मुरादाबाद के दो क्रिकेटरों की टीम चुन डाली जिसका विरोध संघ के भीतर इस कदर उठा कि टीम को प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले ही बाहर का रास्ताा देखना पड गया। टीम चुनने के लिए इसके पूर्व दिल्ली वाले आका की मुहर अंतिम मानी जाती रही थी। सभी पदाधिकारी और कार्यकारिणी के सदस्य दिल्ली दरबार के आगे झुक कर सलाम ठोंकते रहते थे। अब यह रंग यूपीसीए के पूर्व सचिव के निजी सचिव जो संघ में बिना किसी पद भी नहीं है या फिर यह कहा जाए वह पर्दे के पीछे से सर्वे-सर्वा होने का दायत्वि पूरी तरह से निभानेका काम कर रहे हैं। सहारनपुर वाले भाई का प्रभाव और दबाव प्रदेश के पूरे संघ के सदस्यों और पदाधिकारियों के साथ कर्मचारियों में भी परस्पर बना हुआ है।संघ के सभी निर्णयों पर बीते कई सालों से पूर्व सचिव की ही मुहर लग रही है। तक कि ग्रीनपार्क’ कमला क्लब के साथ ही मेरठ और लखनऊ में होने वाले मैच को आवन्टित करवाने के लिए भी उन्ही के इशारों पर मुहर लगायी जाती है।
यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि बीते साल 2022 के अन्त में अरविन्द श्रीवास्तव को नए सचिव के रूप में नियुक्त किया गया इसके बाद भी सारे निर्णय मेरठ और सहारनपुर में लिए जा रहे थे। तब इसकी शिकायत बोर्ड और कोर्ट में की गयी तो समस्या का निराकरण करने की कोशिश की गयी लेकिन आशातीत सफलता नही मिल सकी। सूत्र यह भी बताते हैं कि लखनऊ का प्रभार होने के चलते आईपीएल समेत विश्व् कप के मैच करवाने का निर्णय भी उन्ही की ओर से किया गया था। सुपर चयनकर्ता के बारे में यह भी देखा और सुना गया है कि वह नोएडा में स्थित एक क्रिकेटर के निजी पायनियर क्रिकेट स्टेडियम में ही चयन प्रक्रिया को आयोजित करवाने के लिए निर्देश जारी करते हैं जिसको संघ के सभी पदाधिकारी अनुपालन करते हैं। यही नही नोएडा के एक खिलाडी जिन्होने अपने कैरियर में अभी तक केवल 38 रनों का स्कोर बनाया है उसे एनसीए में भेजने के लिए भी संघ से स्वीकृति प्रदान करवा दी है। लोगों का मानना है कि जिसके बाप के पास इतना पैसा है कि यूपीपीएल की टीम को खरीद भी लिया तो उसके पुत्र को तो एनसीए में भेजना शायद भाई ही कर सकते हैं। उत्तराखण्ड प्रतियोगिता के लिए प्रदेश की क्रिकेट टीम की चयन प्रक्रिया से नाराज संघ के पदाधिकारियों के बीच अपने वजूद का खतरा मंडराने लगा है। यूपीसीए के एक सदस्य ने बताया कि अब इस तरह के निर्णय से क्रिकेटरों का नुकसान हो रहा है सबको चाहिए कि एक व्यक्ति पर निर्भर न हों और खिलाडियों के भविष्य के बारे में आकलन करें। इस बारे में बातचीत के लिए सचिव अरविन्द श्रीवास्तव को फोन मिलाया गया लेकिन उनसे बात नही हो सकी।