
संवाददाता।
कानपुर। नगर में गेहूं की फसल पककर खेतों में कटने को तैयार होने लगी है। ऐसे में बढ़ता तापमान गेहूं की सेहत खराब कर सकता है। सीएसए यूनिवर्सिटी के कृषि मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने गेंहू किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। लू चलने की भी आशंका जताई गई है, जिससे गेहूं को नुकसान हो सकता है। डा. पांडेय के मुताबिक किसानों से कहा गया है कि गर्मी में वे अपनी फसल में हर हाल में 12-13 परसेंट तक नमी बनाए रखें, परेशानी हो सकती है। साथ ही किसानों से कहा गया है कि अगर उनके क्षेत्र का तापमान सामान्य स्तर से अधिक हो तो खेतों में हल्की सिंचाई भी करते रहे। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से जारी किए गए पूर्वानुमान में बताया गया है कि देश के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत और पूर्वी और पश्चिमी तटों पर अधिकतम तापमान धीरे-धीरे 2-3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इससे गर्मी और बढ़ सकती है। इसे देखते हुए भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं किसानों के लिए जारी सलाह में कहा है कि मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में किसान गेहूं की कटाई करते वक्त उचित नमी की मात्रा बनाए रखें। साथ ही सुरक्षित भंडारण के लिए आवश्यक साफ-सफाई करें। गेहूं सूखने से बचाने के लिए सीएसए यूनिवर्सिटी के कृषि मौसम वैज्ञानिक ने सुझाव दिया है कि यदि अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो किसान फलन के दौरान 0.2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश या 2 प्रतिशत पोटेशियम नाइट्रेट को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं। इससे फसल को सूखने से बचाने और गर्मी के तनाव को कम करने के लिए मदद मिलेगी। जिन किसानों ने देर से गेहूं की बुवाई की थी, वे अपने खेतों में हल्की सिंचाई करें और कटाई से 8-10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। हालांकि मौसम से पैदा हो रही चुनौतियों के बाद भी कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का अनुमान है कि इस साल गेहूं का उत्पादन 112.02 मिलियन टन हो सकता है जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 1.46 मीट्रिक टन अधिक है। इस साल गेहूं के बुवाई क्षेत्र में 1.21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।