संवाददाता।
कानपुर। नगर मे शारीरिक, मानसिक के अलावा भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से भी जब हम सम्पन्न रहेंगे, तभी हमारा सर्वांगीण विकास हो सकता है। योग और ध्यान सर्वांगीण विकास के लिए बहुत जरूरी है। ऋषि पतंजलि के योग सूत्र में ध्यान को सातवें स्थान पर रखा गया है। ध्यान बाहर से अपने अंतरतम की यात्रा है। यह हृदय का योग है। ये विचार हार्टफुलनेस के प्रशिक्षकों ने तात्याटोपे नगर स्थित सीएचएस (चौ. हरमोहन सिंह) एजुकेशन सेंटर में ध्यान और योग पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन व्यक्त किए। प्रिंसिपल ज्योति विज ने बताया कि फिजिकल हेल्थ, मेन्टल हेल्थ पर बहुत काम हो रहा है। भावनाओं में आकर अक्सर हम गलत निर्णय ले लेते हैं, जिसकी वजह से हमें जीवन भर अफसोस करना पड़ता है। इसलिए हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा। रिलैक्सेशन और ध्यान आपकी मदद करेगा। रिसर्च बताती हैं कि एक साधारण मनुष्य में एक दिन में 60,000 से 80,000 विचार आते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा नकारात्मक विचार हैं। हार्टफुलनेस की शुद्धिकरण तकनीक वैचारिक और भावनात्मक संतुलन के लिए बहुत उपयोगी है। योगा और ध्यान ट्रेनर एयरफोर्स से रिटायर्ड ऋषि प्रकाश और सर्जन डॉ. प्रिया सचान ने प्रशिक्षण दिया। करीब 170 छात्र छात्राएं, टीचर्स और स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यशाला में बच्चों को बताया गया कि बाईं नासिका से श्वास, प्राणायाम, ओम का तीन भाग में उच्चारण, रिलैक्सेशन, ध्यान, कैसे हम भावनात्मक बोझ-अनुपयोगी विचारों से उबर सकते हैं और खुद से जुड़ने (आत्मा) का अभ्यास कर सकते हैं। क्रोध को कम करने के लिए 10-12 बार बाईं नासिका से सांस लेना फायदेमंद हो सकता है। यह आपको बेहतर तरीके से किसी काम को करने के लिए तैयार करता है। हार्टफुलनेस शिथिलीकरण और ध्यान वैज्ञानिक तरीका है। हार्टफुलनेस के ग्लोबल गाइड एवं पदम् भूषण श्रद्धेय डॉ. कमलेश डी पटेल ‘दाजी’ का संदेश है कि बच्चों को रिलैक्सेशन कराकर आप उन्हें सबसे बड़ा उपहार देते हैं।