September 8, 2024

कानपुर। पिछले 9 साल में रावतपुर में पडी पाइप लाइन में लगभग 900 से ज्यादा छोटे बड़े लीकेज हो चुके हैं। इसे बनाने में 10 करोड़ से ज्यादा रकम खर्च हो चुकी है। सड़क बनाने के खर्च को भी जोड़ लें तो ये रकम दोगुनी हो जाएगी। कानपुर में शुक्रवार शाम तेज आवाज के साथ रावतपुर की सड़क का 15 फीट हिस्सा धंस गया था जिससे पानी की मोटी धार निकलने लगी थी और यातायात भी पूरी तरह से ठप हो गया था। फटी पाइपलाइन को दुरुस्त करने के लिए 3 दिन में 10 लाख घरों की पानी सप्लाई रोकनी पड़ी। जल निगम के एक इंजीनियर के मुताबिक, एक छोटे लीकेज बनाने में 50 हजार से 1 लाख रुपए और एक बड़े लीकेज में 2 लाख तक खर्च होते हैं।

ये हाल तब है जब सामान्य क्षमता के साथ सप्लाई की जा रही। अगर पूरी क्षमता के साथ पानी छोड़ा गया तो भ्रष्टाचार की मिसाल ये पाइप लाइन कहां-कहां से फटेगी, इसका अंदाजा जल निगम के इंजीनियर भी नहीं लगा पाएंगे। शहर की 40 लाख आबादी को पानी सप्लाई के लिए ये योजना चलाई गई। लेकिन सिर्फ 10 आबादी तक ही पानी सप्लाई किया जा सका। जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन योजना के तहत लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिले, इसके लिए 15 किलोमीटर की पाइप लाइन डाली गई। वर्ष-2009 में इसका काम पूरा हुआ और वर्ष-2015 में इसकी टेस्टिंग शुरू की गई। योजना में 2 फेज में काम हुआ। पहले फेज में 393 करोड़ रुपए से पाइप लाइन डालने का काम हुआ। इसके तहत गंगा बैराज में 20-20 करोड़ लीटर पानी की क्षमता के 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बने। सप्लाई के लिए 1800, 1600 और 1400 एमएम के पाइप डाले गए। पाइप डालने का ठेका विचित्रा प्रीस्ट्रेसड कंक्रीट उद्योग प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली के पास था। वहीं, दोशियान कंपनी से 25 करोड़ रुपए में पाइप खरीदा गया। इतनी ही लागत इन्हें बिछाने में आई। योजना में कंपनीबाग से फूलबाग तक और कंपनीबाग से बारादेवी चौराहा तक पाइप लाइन डाली गई थी। मई 2015 में इन लाइनों की टेस्टिंग शुरू की गई। टेस्टिंग के पहले दिन ही 30 जगहों पर लीकेज होने लगी। पानी की मोटी धारा निकलने लगी। इसके बाद से ही योजना की जांच चल रही है। मामले की जांच में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम के भ्रष्टाचार की आशंका है। प्राथमिक जांच में 24 इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। उन पर प्राथमिकी  दर्ज कराई गई। पुलिस ने इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराने का फैसला लिया। योजना के तहत लोगों को नलों से साफ पानी दिया जाना था। शहर में 3 लाख से ज्यादा घरों में नलों के कनेक्शन दिए गए। लेकिन, आज तक इन नलों से एक बूंद पानी नहीं आया। लाइनों में कई जगहों पर गैप छोड़ दिए गए। आज तक इन गैप को भरा नहीं जा सका है। जाजमऊ, कृष्णा नगर, गांधीग्राम, वाजिदपुर, श्यामनगर, किदवई नगर, हंसपुरम, नौबस्ता समेत दर्जनों एरिया में पानी नहीं पहुंच सका है।कानपुर की 40 लाख आबादी को 40 करोड़ लीटर वाटर सप्लाई होना था। लेकिन, अभी तक सिर्फ 6 करोड़ लीटर पानी ही 10 लाख आबादी को मिल पा रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण ये है कि पूरी क्षमता से वाटर सप्लाई करने पर लाइनें फट जाएंगी। लीकेज में अभी तक 10 हजार करोड़ लीटर से ज्यादा साफ पानी बर्बाद हो चुका है।जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर अजमल हुसैन ने बताया कि  जब बड़े लीकेज होते हैं तो तुरंत ही वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है। छोटे-छोटे लीकेज तो आए दिन होते हैं। मजबूरी में लीकेज बनाने के लिए वाटर सप्लाई रोकनी पड़ती है।

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