कानपुर।कानपुर विकास प्राधिकरण भले ही नगर में अवैध बिल्डिंगों पर सीलिंग की कार्यवाही करने के लिए पूरे जोर शोर से उपाध्यक्ष ने शुरू किया है और प्रयासरत भी है। जिसमें जोन 1 के 15 अवैध निर्माण पर आज सील लगाई गई है। लेकिन उससे उलट तस्वीर ये है की प्रवर्तन विभाग के ही तमाम भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों का उसके पीछे करने वाला खेल जग जाहिर भी है। केडीए बीते एक सप्ताह के भीतर तीन दर्जन से अधिक अवैध बिल्डिंगों को सीज करने की कार्यवाही कर चुका है। लेकिन २ जून को हुई कार्यवाही के बाद दूसरे ही दिन 19 अवैध निर्माणों की सीलिंग भ्रष्ट कर्मचारियो के कर कमलों की बदौलत खोल दी गईं जिससे बिल्डरों के हौंसले बुलंद हो गए हैं।केडीए के भ्रष्ट कर्मचारियों का यह पहला कारनामा नहीं है जब अवैध बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही तो की गई लेकिन दूसरे या फिर तीसरे ही दिन पट्टे को हटाकर पूरा खेल अन्दर ही अन्दर शुरू हो चुका होता है। अभी हाल ही में आर टी आई के माध्यम से केडीए की उन कार्यवाही के विषय में संबंधित जानकारी मागने पर पता चला कि विकास प्राधिकरण सहित अन्य विभागों ने नजम हमराज बिल्डर सहित अन्य बिल्डरों ने अनापत्ति प्रमाण पत्र किसी भी विभाग के द्वारा प्राप्त नहीं किये है। इसके उपरांत भी केडीए एक वर्ष तक प्राधिकरण सहित अन्य विभागों को इन टावरों पर कार्यवाही करने के लिए जन सूचना के माध्यम से प्रेरित करते रहे। लेकिन अवैध निर्माणों के प्रति मुख्य कार्यवाही जो विकास प्राधिकरण द्वारा सील करने या ध्वस्त करने और कोई अन्य कार्यवाही नहीं की गई है।
जिसको उच्च न्यायालय की दो पक्षिय वेच अरुण भनसाली एवं विकास बुधवार न्यायधीशों ने सँज्ञान में लेते हुए 10/05/24 को संबंधित विभागों ने कड़ी फटकार लगाते हुए आदेशित किया कि 10/07/24 तक आवश्यक कार्यवाही करते हुए आख्या दाखिल करे। कड़ी फटकार के बाद विकास प्राधिकरण का प्रवर्तन विभाग कुम्भकर्णीय नीद से जागा।
अवकाश दिवस रविवार को कार्यवाही करते हुए 80/80 में 19 टावरों सहित जोन 1 के 10 अन्य बहुमंजिला अवैध निर्माणों को सील करने की कार्यवाही करी, और स्वयं की पीठ थपथपाते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी थी कि प्राधिकरण के गुप्त अभियान के अंतर्गत ये कार्यवाही करी गयी है, न कि उच्च न्यायालय की फटकार के बाद। कार्यवाही रविवार को करी गयी और सोमवार को ही प्राधिकरण द्वारा लगाए गए 80/80 में 19 पट्टे की सील को बिल्डरो ने निकाल कर फेंक दिया गया और पुनः अवैध निर्माण जारी कर दिया। ये गुप्त प्रभावी कार्यवाही प्राधिकरण की दूसरे दिन ही ध्वस्त हो गयी। मौके पर जाकर जिसको जांच की जा सकती है। विचारणीय विषय ये है कि जिन अवैध निर्माणों के लिए विकास प्राधिकरण में मुख्यतः प्रवर्तन विभाग गठित किया गया है वो रोकथाम तो लगाता है लेकिन बहुमंजिला इमारतों को अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों जो प्रति वर्ष करोड़ो रूपये के राजस्व का घपला करते है उनपर नही। प्रवर्तन विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को जिन १५ प्रॉपर्टी को सीज किया है उन बिल्डिंगों को पूरी तरह से सील रखा जाएगा या फिर केडीए के भ्रष्ट कर्मचारियों की मिली भगत से पट्टा खुल जाएगा और काम चलता रहेगा ।