February 5, 2025

गंगा स्नान के बाद देर शाम तक सरसैय्या घाट में चलता रहा होली मिलन समारोह

कानपुर। प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर का गंगा मेला ऐतिहासिक है और आजादी के दीवानों की याद में होली के बाद अनुराधा नक्षत्र पर पूरा शहर रंगों से सरोबार हो जाता है। इसी क्रम में शनिवार को अनुराधा नक्षत्र पर 82वें ऐतिहासिक हटिया होली मेला की शुरूआत जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह और पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने पुलिस बैंड की धुन पर ध्वजारोहण कर किया। इसके बाद पार्क में लगे क्रांतिकारियों के शिलालेख पर पुष्पांजलि दी गई और वंदेमातरम के जयघोष के साथ पहले से सजे विभिन्न रुटों पर निकलने वाले रंगों के ठेला निकल पड़े। यह ठेला, भैंसा गाड़ी, ऊंटों, ट्रैक्टरों व लोडरों पर रंग लिए चल रहे थे। करीब चार बजे तक पूरा शहर रंगों से सरोबार रहा। इसके बाद आजादी के दीवानों की तरह युवाओं की भीड़ गंगा स्नान कर अपने घरों को निकल गई और फिर सरसैय्या घाट में होली मिलन समारोह की शुरुआत हुई जो देर शाम तक चलती रही।

कानपुर में ऐतिहासिक गंगा मेला का पर्व मनाया जाता है और हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हटिया स्थित रज्जन बाबू पार्क में तिरंगा फहराने के बाद गुलाल उड़ा तो इंद्रधनुषी छटा छा गई। शहर में ऐतिहासिक रंग का ठेला निकला। बच्चे से लेकर बूढ़े तक रंग खेलते नज़र आये। भैंसा ठेला, ऊंट, ट्रैक्टर ट्राली पर सवार हो रंग बरसाते होरियारे निकले और पूरे शहर में होली खेली गई। पुलिस कमिश्नर व जिलाधिकारी के तिरंगा फहराते ही भारत माता की जय..होली है की गूंज के बीच रंग बरसने लगा। होरियारे जल संस्थान की हाई प्रेशर जेट मशीन से लगभग 70 ड्रमों में रखे रंग की बौछार करते होली है… चिल्लाए, तो छतों से महिलाओं और बच्चों ने रंग बरसाने शुरू कर दिए। इसके साथ ही गीत और गानों में लोग थिरकते नजर आए। बिरहाना रोड, मेस्टन रोड, घंटाघर समेत कई इलाकों में गंगा मेला पर लोग रंग खेलते नज़र आए। इस दौरान छतों से भी लोगों ने खूब रंग बरसाया। बच्चों एवं महिलाओं ने रंगों से स्वागत करते हुए होरियारों को सराबोर कर दिया। फूलों की भी बारिश की गई। लगभग छह किमी के दायरे में जुलूस की शक्ल में होली के रंग में लोग झूमते रहे। मेला ऐतिहासिक होने की वजह से पीएसी बैंड भी शामिल हुआ। औद्योगिक नगरी में 1942 से यह परंपरा चली आ रही है और होली गंगा मेला में भैंसा ठेला, ट्रैक्टर ट्राली, टेम्पो और ऊंट पर सवार होकर हुरियारे रंग बरसाते निकले। हाई प्रेशर पिचकारियों से ठेले पर बैठे हुरियारे रंग बरसा रहे हैं। ये लोग हटिया, गयाप्रसाद लेन, मूलगंज, शिवाला, रामनारायण बाजार चौराहा, कमला टॉवर, चटाई मोहाल, सिरकी मोहाल, बिरहाना रोड, नयागंज, जनरलगंज होते हुए हटिया वापस लौटे। यहां से सभी लोग सरसैय्या घाट में उसी तरह जिस तरह 1942 में आजादी के दीवानों ने गंगा स्नान कर होली के रंग का समापन किया गया उसी तरह लोग गंगा स्नान कर अपने घरों को लौटे।

गंगा मेला में सुबह से शुरु हुआ रंगोत्सव दूसरे पहर खत्म हो गया और इसके बाद करीब चार बजे से सरसैय्या घाट पर होली मिलन समारोह शुरु हुआ। यहां पर शहर के उद्योगपति, कारोबारी, राजनेता, समाजसेवी सहित सभी वर्गों के लोग एक दूसरे को गुलाल लगा होली मिलन की बधाइयां देते हैं। यह सिलसिला देर शाम तक चलता है।

जब रंग का ठेला मूलगंज चौराहा पर पहुंचा तो इसमें सौहार्द का रंग भी देखने को मिला। मुस्लिम भाईयों ने ऐतिहासिक होली मेले में शामिल लोगों का स्वागत कर गुझिया खिला कर मुंह मीठा कराया। हिन्दू-मुस्लिम ने गले मिलकर एक-दूसरों को गंगा मेला की बधाई दी। वहीं, खास बाजार केस्को के सामने तिरंगा लहरा कर पुष्प वर्षा की। वहीं शाम को रज्जन बाबू पार्क हटिया में लगे बाल मेले में बच्चों ने झूला झूल कर फन गेम्स खेले और जमकर मस्ती की।

हटिया गंगा मेला के ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया कि वैसे तो हमारा देश 1947 में आजाद हुआ था, लेकिन 1942 में होली के पर्व के दौरान रोक लगाए जाने पर हमारे नव युवकों ने कहा कि यह हमारा धार्मिक त्योहार है। इसके चलते उनके द्वारा होली खेलने का निर्णय लिया गया। इस पर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। होली के पांचवें दिन अनुराधा नक्षत्र के मौके पर सभी 47 लोगों को जेल से छोड़ दिया गया था। इसके बाद पूरे कानपुर में उत्सव का माहौल बन गया। सभी ने जमकर होली खेली। भैंसा गाड़ी में रंगों का ठेला निकाला गया। बाजारों से होता हुआ रंगों का ठेला गंगा किनारे स्थित सरसैया घाट पर खत्म हुआ। उस दिन रात तक लोग खुशियां मनाकर एक-दूसरे से मिलते रहें। तभी से इस उत्सव को गंगा मेला नाम दिया गया। तब से आज तक इस महोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *