कानपुर। आईआईटी कानपुर ने अपने यहां विकसित स्वदेशी 5जी नेटवर्क तकनीक का प्रशिक्षण दूरसंचार के अधिकारियों को दिया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण में 5जी/5जी प्लस मानकों और स्वदेशी 5जी नेटवर्क के डिजाइन और विकास पर जानकारी दी गई। इसके साथ ही 5जी तकनीक और इसके भविष्य की प्रगति का व्यापक अवलोकन प्रदान किया गया, जिसमें भारत के स्वदेशी 5जी नेटवर्क विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. रोहित बुद्धिराजा ने किया, जिनके शोध समूह ने भारत के पहले स्वदेशी 5जी नेटवर्क को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसे वर्तमान में संस्थान के परिसर में तैनात किया गया है। इस उन्नत तकनीक को टाटा-तेजस नेटवर्क और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया है।तीन दिनों में प्रतिभागियों को 5जी फिजिकल लेयर, नेटवर्क आर्किटेक्चर और उन जटिल लेयर्स के बारे में गहन जानकारी प्राप्त हुई, जिनके माध्यम से बेस स्टेशन से उपयोगकर्ता उपकरण तक डेटा संचारित किया जाता है। कार्यक्रम में 5जी नेटवर्क कनेक्शन, कोडिंग, मॉड्यूलेशन, रेट मैचिंग और मल्टीपल एंटीना तकनीकों की बारीकियों पर गहन चर्चा की गई। प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उभरते 5जी प्लस मानक पर केंद्रित था, जिसमें एम्बिएंट आईओटी, एआई/एमएल अनुप्रयोग और उच्च सटीकता वाली पोजिशनिंग सिस्टम जैसी तकनीकें शामिल थी। प्रतिभागियों को 3जीपीपी मानकीकरण निकाय और उसके कार्य समूहों के आंतरिक कामकाज से परिचित कराया गया, जिससे वायरलेस संचार के भविष्य की व्यापक समझ विकसित हुई। प्रो. रोहित बुद्धिराजा ने गुरुवार को बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम ने दूरसंचार विभाग के अधिकारियों को आईआईटी कानपुर में विकसित स्वदेशी 5जी तकनीक और 5जी प्लस मानक को आकार देने की दिशा में चल रहे प्रयासों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया। हमें विश्वास है कि इस अनुभव से उन्हें भारत में दूरसंचार की उन्नति में योगदान देने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान की होगी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक सम्पन्न होना आईआईटी कानपुर और दूरसंचार विभाग के बीच मजबूत साझेदारी को दर्शाता है। यह सहयोग 5जी और उससे आगे के क्षेत्र में भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।