कानपुर।चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र,दिलीप नगर द्वारा ग्राम औरंगाबाद में निकरा योजना अंतर्गत ढेंचा फसल हरी खाद हेतु विषय पर एक दिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। मिट्टी के वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने उपस्थित कृषकों को बताया कि ढैचा की फसल को बुवाई के 40 से 45 दिनों पर खेत में पलट देना चाहिए। जिससे मिट्टी को अधिक मात्रा में जीवांश पदार्थ मिल जाता है। डॉक्टर खान ने बताया कि ढैचा की हरी खाद से मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणुओं की भी संख्या बढ़ती है। साथ ही आगामी फसल को सभी पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि ढैचा की पत्तियों का पीएच मान 4.5 होता है इसलिए ऊसर भूमियों में ढैचा कि हरी खाद करने से ऊसर भूमि सामान्य भूमि में परिवर्तित होने लगती है। जिससे मिट्टी की सेहत में सुधार होता है। उन्होंने बताया कि ढैचा की जड़ों में सूक्ष्म पीली गांठे होती हैं। जिसमें राइजोबियम जीवाणु होता है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को एकत्रित कर मिट्टी में मिला देता है। उन्होंने कहा कि एक शोध के अनुसार ढैचा की हरी खाद से 22 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ मिट्टी को प्राप्त होता है। इससे भूमि की संरचना भी सुधरती है तथा रासायनिक उर्वरकों पर किसानों का धन व्यय भी काम होता है।इस अवसर पर एसआरएफ शुभम यादव, प्रगतिशील कृषक चरण सिंह, रामबाबू सहतावनपुरवा,सुनील कुमार,शिव शंकर एवं जयकुमार सहित अन्य कृषक उपस्थित रहे।